score Card

बेटे पर भारी पड़ी पार्टी की साख: तेज प्रताप यादव को RJD से बाहर करने की लालू यादव को क्यों पड़ी ज़रूरत? जानें 6 कारण

बेटे पर पार्टी की साख भारी पड़ी. तेज प्रताप यादव को RJD से छह साल के लिए बाहर कर लालू यादव ने दिखा दिया कि परिवार से पहले संगठन है. लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ जो ये बड़ा फैसला लेना पड़ा?

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

बिहार न्यूज. तेज प्रताप यादव हाल के महीनों में लगातार ऐसे बयान दे रहे थे जो पार्टी की नीति और विचारधारा से मेल नहीं खाते थे. कभी वे नीतीश कुमार की तारीफ़ करते दिखे तो कभी भाजपा के नेताओं के प्रति नरम रुख अपनाते नज़र आए. इससे पार्टी कैडर और वोटरों में भ्रम की स्थिति बनती जा रही थी. एक राष्ट्रीय पार्टी के लिए यह स्थिति बहुत ही नुकसानदेह मानी जाती है.

2. छोटे भाई तेजस्वी पर सीधा हमला

तेज प्रताप अपने ही छोटे भाई और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ खुलकर बयान दे रहे थे. उन्होंने तेजस्वी के करीबी नेताओं को “दलाल” और “चापलूस” तक कह डाला. सार्वजनिक मंचों पर अपने ही भाई के खिलाफ बयान देना पार्टी की एकता और नेतृत्व पर सीधा प्रहार था. यह मतभेद अब मनभेद बन चुका था.

3. समानांतर संगठन खड़ा करने की कोशिश

तेज प्रताप ने ‘छात्र जनशक्ति परिषद’ नामक एक नई इकाई खड़ी कर दी थी, जो RJD के छात्र विंग से अलग थी. उन्होंने युवाओं को अपनी अलग विचारधारा से जोड़ने की कोशिश की और इसके ज़रिये पार्टी में समानांतर नेतृत्व खड़ा करने का संकेत दिया. यह लालू यादव को सीधी चुनौती थी, जिसे वे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते थे.

4. आगामी चुनावों के लिए खतरनाक संकेत

बिहार की राजनीति चुनावी मोड़ पर है. NDA और INDIA गठबंधन की लड़ाई ज़ोरों पर है. ऐसे में RJD जैसे बड़े दल को अंदरूनी कलह का कोई जोखिम नहीं उठाना था. तेज प्रताप की बयानबाज़ी और विद्रोही तेवरों से जनता में पार्टी की छवि प्रभावित हो रही थी. लालू यादव को यह स्पष्ट था कि अगर अभी कार्रवाई नहीं की गई तो चुनावों में गंभीर नुकसान उठाना पड़ सकता है.

5. बार-बार की अनुशासनहीनता

तेज प्रताप की भाषा, व्यवहार और सार्वजनिक तौर-तरीकों को लेकर पहले भी पार्टी नेतृत्व चिंतित रहा है. कभी वे साधु बन जाते हैं, कभी सड़कों पर समर्थकों के साथ बिना अनुमति के जुलूस निकालते हैं. हाल ही में उन्होंने मीडिया में आकर अपने ही पिता पर दबाव बनाने की कोशिश की, जो पार्टी अनुशासन की सीमा का उल्लंघन था.

6. पारिवारिक इमोशन बनाम पार्टी की साख

लालू प्रसाद यादव के लिए यह फैसला व्यक्तिगत रूप से बेहद कठिन रहा होगा. एक ओर उनका बेटा, जिसने शुरू से RJD की राजनीति में भाग लिया. दूसरी ओर पार्टी की साख और अस्तित्व. लेकिन राजनीति में कभी-कभी रिश्तों को पीछे छोड़ना पड़ता है. लालू ने इस फैसले से यह संदेश दिया कि RJD में अनुशासन सर्वोपरि है, चाहे वह कोई भी हो. तेज प्रताप यादव का निष्कासन बिहार की राजनीति में एक अहम मोड़ है.

तेज प्रताप की अगली चाल

यह सिर्फ पारिवारिक झगड़े की कहानी नहीं, बल्कि राजनीतिक शुद्धिकरण की प्रक्रिया का हिस्सा है. यह कदम तेजस्वी यादव के नेतृत्व को मजबूत करता है और पार्टी के भीतर एक स्पष्ट संदेश देता है – कि यहां अनुशासन से समझौता नहीं होगा, चाहे वह लालू यादव का बेटा ही क्यों न हो. अब सबकी निगाहें तेज प्रताप की अगली चाल पर हैं. क्या वह नई पार्टी बनाएंगे, किसी और से हाथ मिलाएंगे या घर वापसी की राह तलाशेंगे – आने वाला वक्त इसका जवाब देगा.

calender
27 May 2025, 05:35 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag