ऑपरेशन सिंदूर में भारत का गेमचेंजर: पहली बार इस्तेमाल हुए लोइटरिंग म्यूनिशन
बुधवार सुबह भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत करते हुए पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों पर पहली बार सशस्त्र कार्रवाई को अंजाम दिया. इस संयुक्त अभियान में भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के जवाब में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष नेतृत्व को निशाने पर लिया.

भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पीओके के भीतर आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया. यह पहली बार है जब भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने एक साथ तालमेल बिठाकर सीमा पार इस तरह की सटीक सैन्य कार्रवाई की है. इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने आतंकियों के 9 ठिकानों को ध्वस्त किया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिद्दीन के महत्वपूर्ण शिविर शामिल थे.
‘लोइटरिंग म्यूनिशन’ तकनीक का उपयोग
ऑपरेशन के दौरान भारत ने ‘लोइटरिंग म्यूनिशन’ तकनीक का उपयोग किया. यह एक तरह का आत्मघाती ड्रोन होता है जो लक्ष्य क्षेत्र में मंडराता है और सटीकता से हमला करता है. इन ड्रोन को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये छिपे हुए या थोड़े समय के लिए सक्रिय लक्ष्यों पर हमला कर सकें. इन्हें ऑपरेटर द्वारा रियल-टाइम में नियंत्रित किया जा सकता है या स्वायत्त रूप से भी संचालित किया जा सकता है, जिससे रणनीतिक लचीलापन मिलता है.
खुफिया सूत्रों के अनुसार, यह मिशन पूरी तरह भारतीय क्षेत्र से संचालित किया गया और इसमें लक्ष्यों की पहचान भारतीय एजेंसियों द्वारा की गई. हमलों का उद्देश्य आतंकवादी संगठनों के शीर्ष नेतृत्व और उनके लॉंच पैड को समाप्त करना था, जिससे भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जा सके.
सीमित और नियंत्रित ऑपरेशन
भारत के रक्षा मंत्रालय ने साफ किया कि यह कार्रवाई केवल आतंकवादी ठिकानों पर केंद्रित थी और किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया. यह एक सीमित और नियंत्रित ऑपरेशन था, जिसका उद्देश्य नागरिकों को नुकसान पहुंचाए बिना आतंकवाद के ढांचे को ध्वस्त करना था.
इस जवाबी कार्रवाई में भारत ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया कि वह आतंकी हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा और यदि आवश्यक हुआ तो निर्णायक कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा.


