वेकेशन से लौटने के बाद लड़कियों को कराना होगा प्रेग्नेंसी टेस्ट! इस सरकारी हॉस्टल ने जारी किया फरमान
महाराष्ट्र के सरकारी आदिवासी हॉस्टल में छुट्टी के बाद लौट रही छात्राओं से प्रेगनेंसी टेस्ट रिपोर्ट मांगा जा रहा है. नेगेटिव रिपोर्ट आने पर ही हॉस्टल में प्रवेश मिलता है, अन्यथा उन्हें हॉस्टल के अंदर आने की अनुमति नहीं मिलती हैं

महाराष्ट्र: महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक सरकारी आदिवासी लड़कियों के हॉस्टल में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. यहां छात्राओं से कहा जा रहा है कि छुट्टियों से लौटने पर प्रेगनेंसी टेस्ट करवाना जरूरी है. टेस्ट में नेगेटिव रिपोर्ट आने पर ही हॉस्टल में प्रवेश मिलता है, अन्यथा उन्हें हॉस्टल के अंदर आने की अनुमति नहीं मिलती हैं. यह नियम छात्राओं की निजता पर सवाल उठा रहा है. आइए जानते हैं इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ ?
क्या है पूरा मामला ?
पुणे के जुन्नर इलाके और अन्य जगहों के आदिवासी हॉस्टल में छात्राएं बता रही हैं कि दीवाली या किसी भी तरह की छुट्टियों के बाद वापस आने पर उन्हें यूरिन प्रेगनेंसी टेस्ट कराना पड़ता है. छात्राओं को यह टेस्ट खुद खरीदकर करवाना होता है और नेगेटिव आने पर ही हॉस्टल में एंट्री लेती हैं. छात्राएं इस नियम को अपमानजनक बता रही हैं.
सरकार का जवाब
आदिवासी विकास विभाग ने साफ कहा है कि ऐसा कोई सरकारी नियम नहीं है. कोई जीआर या सर्कुलर नहीं जारी किया गया जो यह टेस्ट अनिवार्य बनाता हो. विधानसभा में भी इस पर चर्चा हुई और सरकार ने इसे गलत बताया.
महिला आयोग की कार्रवाई
महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग ने मामले का संज्ञान लिया है. जांच शुरू हो गई है और दोषियों पर सख्त एक्शन की चेतावनी दी गई है. कार्यकर्ता इसे लड़कियों की निजता और अधिकारों का उल्लंघन बता रहे हैं.
मीडिया के सामने हॉस्टल प्रशासन ने साधी चुप्पी
मामला बढ़ने के बाद मीडिया टीम जब हॉस्टल पहुंची तो प्रशासन ने कैमरे के सामने बात करने से मना कर दिया. स्थानीय संगठन इस मामले को उठा रहे हैं और बदलाव की मांग कर रहे हैं. यह घटना दिखाती है कि सरकारी संस्थानों में भी लड़कियों की गरिमा का ध्यान रखना जरूरी है. उम्मीद है जांच से सच्चाई सामने जल्द ही आएगी.


