हमले में गंवाए दोनों पैर, अब राज्यसभा के लिए मनोनीत... सदानंदन मास्टर की संघर्षगाथा
30 साल पहले एक राजनीतिक हमले में दोनों पैर गंवाने वाले सदानंदन मास्टर आज राज्यसभा में नामित हुए हैं- उनका जीवन साहस, समर्पण और सामाजिक सेवा की मिसाल है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनके जज्बे को सलाम करते हुए उन्हें प्रेरणास्रोत बताया.

राज्यसभा के लिए मनोनीत किए गए सदानंदन मास्टर की कहानी ना केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह संघर्ष, साहस और अडिग आत्मबल की मिसाल भी है. कभी अपने पैरों पर खड़े होने वाले इस शिक्षक को एक राजनीतिक षड्यंत्र ने जीवनभर के लिए अपंग बना दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और समाज सेवा की राह पर अडिग रहे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सराहे गए सदानंदन मास्टर का जीवन उस जज्बे की मिसाल है, जिसमें अन्याय और हिंसा भी किसी व्यक्ति की प्रतिबद्धता और आत्मविश्वास को तोड़ नहीं पाते. 25 जनवरी 1994 को हुए हमले में अपने दोनों पैर गंवाने वाले सदानंदन, आज देश की सबसे बड़ी संसद में जगह बना चुके हैं.
उस काली रात ने बदल दी जिंदगी
25 जनवरी 1994 की रात सदानंदन मास्टर कभी नहीं भूल सकते. वो अपनी बहन की शादी का न्योता देकर घर लौट रहे थे. जैसे ही वे कार से उतरे, कुछ सीपीएम कार्यकर्ताओं ने उन पर घातक हमला कर दिया. हमलावरों ने ना सिर्फ उन्हें बेरहमी से मारा, बल्कि उनके दोनों पैर भी काट दिए और पैरों को घसीट-घसीटकर सड़क पर रगड़ा ताकि सर्जरी भी मुमकिन ना रहे. उस समय सदानंदन की उम्र मात्र 30 वर्ष थी.
जिस पार्टी से जुड़ाव था, वहीं से मिली सजा
सदानंदन का परिवार पहले सीपीएम से जुड़ा हुआ था, लेकिन कुछ नेताओं से मतभेद होने पर उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की विचारधारा को अपनाया और केरल के मट्टानूर जैसे वामपंथी गढ़ में संघ कार्यालय की स्थापना कर दी. यही बात उनके लिए जानलेवा साबित हुई. हमले के बाद सदानंदन ने कृत्रिम पैरों की मदद से अपने जीवन को नई दिशा दी. उन्होंने 1999 में त्रिशूर जिले के पैरामंगलम स्थित एक माध्यमिक विद्यालय में सामाजिक विज्ञान के शिक्षक के रूप में नौकरी शुरू की और 2020 तक सेवा देते रहे. उनकी शिक्षा के क्षेत्र में यह समर्पण ही उन्हें आज राज्यसभा तक ले आया.
राजनीति में सक्रिय भूमिका
शिक्षक पद से रिटायर होने के बाद सदानंदन मास्टर ने पूरी तरह से सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी. वे 2016 और 2021 में बीजेपी के टिकट पर केरल विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. उनका मानना है कि केरल के लिए एक नया राजनीतिक विकल्प तैयार करना समय की मांग है.
'यह मेरे लिए गर्व का क्षण'
राज्यसभा मनोनयन पर अपनी प्रतिक्रिया में सदानंदन मास्टर ने कहा कि यह मेरे लिए गर्व का क्षण है क्योंकि पार्टी ने मुझ पर भरोसा दिखाया और इस काबिल समझा. मैं विकसित केरल और विकसित भारत के संकल्प को आगे बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास करूंगा.
पीएम मोदी ने की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदानंदन मास्टर को राज्यसभा मनोयन पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनका जीवन साहस और अन्याय के आगे ना झुकने की भावना का प्रतीक है. हिंसा और धमकी उनके सेवा भाव को रोक नहीं सकी. एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनके प्रयास बेहद सराहनीय हैं.


