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पुणे और पिंपरी-चिंचवाड़ में बड़ा राजनीतिक बदलाव: 22 पूर्व पार्षदों ने भाजपा का दामन थामा

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से पहले राजनीतिक सरगर्मी तेज़ होने के साथ ही राजनीतिक माहौल बदलने लगा है. पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम (PCMC) इलाकों के बाईस पूर्व कॉर्पोरेटर और पदाधिकारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए हैं, जिससे आने वाले नगर निगम चुनावों से पहले पार्टी को काफी राजनीतिक फायदा हुआ है.

Yogita Pandey
Edited By: Yogita Pandey

महाराष्ट्र: महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों (Municipal Elections) की सरगर्मी बढ़ते ही राजनीतिक समीकरण बदलने लगे हैं. पुणे और पिंपरी-चिंचवाड़ नगर निगम (PCMC) क्षेत्रों से 22 पूर्व पार्षद और पदाधिकारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए हैं, जिससे भाजपा को आगामी नगर निकाय चुनावों से पहले बड़ा राजनीतिक बल मिला है. यह ऐतिहासिक कदम शनिवार को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लिया गया, जिसमें इन नेताओं को भगवा पार्टी की सदस्यता दिलाई गई. 

इस बड़े फेरबदल में एनसीपी (NCP), कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और अन्य दलों से जुड़े स्थानीय चेहरों ने भाजपा का दामन थामा है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक यह कदम न सिर्फ बीजेपी की पकड़ मजबूत करेगा, बल्कि स्थानीय निकाय चुनावों में विपक्षी मोर्चे के लिए चुनौती भी बढ़ाएगा. 

किस-किस ने थामा भाजपा का हाथ?

भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व पार्षदों की सूची में कई प्रमुख राजनीतिक नाम शामिल हैं. इन नेताओं में सुरेंद्र पठारे, जो वडगांव शेरी से विधानसभा विधायक बापूसाहेब पठारे के पुत्र हैं, प्रमुख रूप से शामिल हैं. बापूसाहेब पठारे पहले शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी से जुड़े थे. इसके अलावा विकास नाना दांगट, सैयाली वंजाले (दिवंगत MNS विधायक रमेश वंजाले की बेटी) और बाला धनकवड़े जैसी शख्सियतें भी भाजपा में शामिल हुई हैं. 

पिंपरी-चिंचवाड़ क्षेत्र से भी कई पूर्व पार्षद और पदाधिकारी भाजपा में गए हैं, जिनमें उषा वाघरे (पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष), प्रभाकर वाघरे, प्रशांत शिटोले, पूर्व उपमहापौर राजू मिसाल, समीर मसुलकर, जालिंदर शिंदे, विनोद नधे, प्रसाद शेट्टी, अमित गवड़े, मीनल यादव, रवि लांडगे, संजोग वाघरे, नवनाथ जगताप, संजय काटे और पूर्व महापौर मंगला कदम के पुत्र कुशाग्र कदम जैसे नाम शामिल हैं. 

भाजपा को मिलेगा कितना फायदा?

स्थानीय निकाय चुनावों से पहले यह दलबदल भाजपा के लिए निश्चित रूप से एक बड़ा राजनीतिक बोनस माना जा रहा है. पुणे और पिंपरी-चिंचवाड़ जैसे शहरी इलाकों में भाजपा को अपने विरोधियों के खिलाफ मजबूत आधार बनाने में यह कदम मदद करेगा. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, इन क्षेत्रीय नेताओं की जमीन-तले पकड़ भाजपा के लिए महत्वपूर्ण वोट बैंक तैयार करेगी और निकायों में उसकी पकड़ और मजबूत होगी. 

विपक्ष में असंतोष की लहर

जहां भाजपा को स्थानीय निकाय चुनावों से पहले यह तगड़ा राजनीतिक बढ़ावा मिला है, वहीं विपक्षी दलों में असंतोष भी दिख रहा है. खासकर एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (UBT) जैसे दलों के पार्षदों का अलग-अलग खेमों में शामिल होना इन पार्टियों के लिए चिंता का विषय बन गया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बदलाव का असर निकाय चुनावों के परिणामों पर भी साफ दिखाई देगा. 

निगाहें 2026 के निकाय चुनावों पर

मुंबई में भाजपा में शामिल हुए इन नेताओं की सदस्यता के बाद अब सबकी निगाहें 15 जनवरी 2026 को होने वाले नगर निगम चुनावों पर टिकी हैं. दोनों क्षेत्रों में भाजपा के पास अब संगठनात्मक ताकत और स्थानीय नेता मौजूद हैं, जो पार्टी को चुनावी माहौल में एक बड़ा फायदा दे सकते हैं. 

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21 December 2025, 09:07 AM IST

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