संघ को BJP के चश्मे से देखना गलत, भारत को विश्व गुरु बनाना ही लक्ष्य: मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने साफ तौर पर कहा है कि संगठन को किसी भी राजनीतिक पार्टी, खासकर BJP के नज़रिए से देखना एक बड़ी गलती है. RSS का मूल मकसद हिंदू समाज को संगठित करना, भारत की सांस्कृतिक विरासत को मज़बूत करना और देश को "विश्व नेता" के रूप में उसकी पुरानी स्थिति में वापस लाना है.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि संघ को किसी राजनीतिक दल, विशेषकर भाजपा, के चश्मे से देखना एक बड़ी भूल है. उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना न तो राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के लिए हुई थी और न ही सत्ता की राजनीति से उसका कोई प्रत्यक्ष संबंध है. संघ का मूल उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित कर भारत की सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करना और देश को फिर से "विश्व गुरु" बनने की दिशा में तैयार करना है.
कोलकाता में आयोजित RSS 100 व्याख्यान माला कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान भागवत ने कहा कि संघ को समझने के लिए तुलना या अधूरे नजरिए से देखने पर भ्रम पैदा होता है. उन्होंने दो टूक कहा, "संघ न तो कोई सामान्य सेवा संगठन है और न ही यह किसी राजनीतिक पार्टी की शाखा है. इसे भाजपा के नजरिए से देखना संघ के उद्देश्य को सीमित करना है."
'भारत माता की जय' में समाया संघ का उद्देश्य
संघ के मूल लक्ष्य को एक वाक्य में समेटते हुए मोहन भागवत ने कहा, "संघ की स्थापना का उत्तर है भारत माता की जय." उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत केवल एक भौगोलिक देश नहीं, बल्कि एक विशेष स्वभाव, परंपरा और सांस्कृतिक चेतना का नाम है. संघ का काम उसी चेतना को जीवित रखते हुए समाज को ऐसा सक्षम बनाना है कि भारत अपनी खोई हुई वैश्विक प्रतिष्ठा फिर से हासिल कर सके.
राजनीति नहीं, समाज निर्माण संघ की प्राथमिकता
भागवत ने जोर देकर कहा कि संघ का जन्म किसी राजनीतिक विरोध या प्रतिस्पर्धा से नहीं हुआ. यह संगठन हिंदू समाज के संगठन, उन्नति और संरक्षण के लिए समर्पित है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक घटनाएं आती-जाती रहती हैं, लेकिन समाज सुधार और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है.
इतिहास से समझाया संघ का दृष्टिकोण
इतिहास का उदाहरण देते हुए भागवत ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निधन के बाद अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन राजा राममोहन राय के समय से शुरू हुआ समाज सुधार आंदोलन कभी रुका नहीं. उन्होंने इस प्रक्रिया को समुद्र के बीच मौजूद एक ऐसे द्वीप से तुलना की, जो लहरों के बीच भी स्थिर रहता है.
अब समाज को मजबूत करने की जरूरत
RSS प्रमुख ने कहा कि अतीत में भारत ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में पराजय झेली, लेकिन आज जरूरत है कि समाज को आंतरिक रूप से मजबूत किया जाए. भारत के पास महान विरासत है और अब समय है कि देश वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए स्वयं को तैयार करे.
डॉ. हेडगेवार के जीवन से प्रेरणा
संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का उल्लेख करते हुए भागवत ने कहा कि उनका जीवन पूरी तरह देश सेवा को समर्पित था. उन्होंने न नौकरी की, न विवाह किया और न ही निजी सुख-सुविधाओं को महत्व दिया. असहयोग आंदोलन के दौरान गांव-गांव घूमने के कारण उन पर राजद्रोह का मुकदमा भी चला, लेकिन वे अपने संकल्प से कभी विचलित नहीं हुए.


