इस्लामिक विचारधारा से दुनिया को खतरा...तुलसी गवार्ड ने की सख्त कार्रवाई की मांग
तुलसी गबार्ड ने अमेरिका फेस्ट में कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा को राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतंत्र के लिए खतरा बताया. उन्होंने इसे धार्मिक नहीं, राजनीतिक एजेंडा करार दिया और सख्त कार्रवाई की मांग की.

नई दिल्लीः अमेरिका की खुफिया एजेंसी की प्रमुख तुलसी गबार्ड के हालिया बयान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति और सुरक्षा बहस को तेज कर दिया है. उन्होंने इस्लाम की एक विशेष कट्टरपंथी विचारधारा को अमेरिका की स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है. उनका कहना है कि यह महज धार्मिक आस्था का विषय नहीं, बल्कि एक राजनीतिक सोच है, जिसका उद्देश्य शरीयत आधारित शासन और वैश्विक खिलाफत की स्थापना करना है.
अमेरिका फेस्ट में दिया कड़ा संदेश
एरिजोना में आयोजित टर्निंग पॉइंट यूएसए अमेरिका फेस्ट को संबोधित करते हुए तुलसी गबार्ड ने कहा कि यह खतरा अब केवल विदेशी धरती तक सीमित नहीं रह गया है. उनके मुताबिक, यह विचारधारा धीरे-धीरे अमेरिका के भीतर भी अपनी पकड़ मजबूत कर रही है. गबार्ड ने कहा कि यह सोच व्यक्तिगत स्वतंत्रता, महिला अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी जैसे मूल अमेरिकी मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है.
धार्मिक नहीं, राजनीतिक एजेंडा
तुलसी गबार्ड ने अपने भाषण में जोर देते हुए कहा कि जिस विचारधारा की वह बात कर रही हैं, उसे धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. उनके अनुसार, यह एक संगठित राजनीतिक एजेंडा है, जो लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर कर शरीयत कानून लागू करना चाहता है. उन्होंने कहा कि अगर इसे समय रहते पहचाना और रोका नहीं गया, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसी स्थिति की चेतावनी
गबार्ड ने अमेरिका को आगाह करते हुए कहा कि यदि सरकार और समाज ने आंखें मूंदे रखीं, तो देश को यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने दावा किया कि इन देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार अंकुश लगाया जा रहा है. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जर्मनी में कई जगह क्रिसमस मार्केट्स रद्द किए जा रहे हैं, जबकि ब्रिटेन में सार्वजनिक स्थानों पर शांतिपूर्वक प्रार्थना करने पर भी लोगों की गिरफ्तारी की घटनाएं सामने आ रही हैं.
अमेरिका के भीतर कट्टरपंथ के आरोप
तुलसी गबार्ड ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका के कुछ शहरों में कट्टरपंथी तत्व खुलेआम सक्रिय हैं. उन्होंने मिशिगन के डियरबॉर्न, मिनेसोटा के मिनियापोलिस, न्यू जर्सी के पैटरसन और टेक्सास के ह्यूस्टन जैसे इलाकों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां कुछ मौलवी युवाओं को कट्टर सोच की ओर आकर्षित कर रहे हैं. उनके अनुसार, यह गतिविधियां अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी हैं.
असहमति दबाने के लिए धमकी
गबार्ड ने दावा किया कि इस विचारधारा से जुड़े लोग केवल वैचारिक बहस तक सीमित नहीं रहते, बल्कि असहमति को दबाने के लिए धमकी, डर और हिंसा का भी सहारा लेते हैं. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर अपनी राय रखने वाले लोगों को भी डराने की कोशिश की जाती है. उनके मुताबिक, यह स्थिति लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक है.
सख्त कार्रवाई की मांग
अपने संबोधन के अंत में तुलसी गबार्ड ने अमेरिकी सरकार और आम नागरिकों से अपील की कि वे कट्टरपंथी विचारधाराओं के खिलाफ स्पष्ट और मजबूत रुख अपनाएं. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए समय रहते साहसिक कदम उठाना जरूरी है, ताकि भविष्य में देश को गंभीर संकट का सामना न करना पड़े.


