मालेगांव ब्लास्ट:प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने तोड़ी चुप्पी, कहा- मुझे टॉर्चर कर BJP-RSS को बदनाम करने की थी कोशिश
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मालेगांव ब्लास्ट केस में सनसनीखेज खुलासा किया है. उन्होंने दावा किया कि जांच एजेंसियों ने उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ जैसे बड़े नेताओं का नाम लेने के लिए दबाव डाला. प्रज्ञा ने बताया कि इस दौरान उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया.

Pragya Singh Thakur: मालेगांव ब्लास्ट केस में हाल ही में सभी आरोपों से बरी हुईं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने एक बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि उन्हें टॉर्चर किया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, RSS प्रमुख मोहन भागवत और कई अन्य नेताओं के नाम लेने के लिए दबाव डाला गया. साध्वी प्रज्ञा के मुताबिक, उनका नाम और कई अन्य लोगों के नाम झूठे आरोपों में फंसाने के लिए उनके साथ अत्याचार किया गया. इस मामले में मुंबई की स्पेशल NIA कोर्ट ने 2008 के मालेगांव ब्लास्ट के मामले में प्रज्ञा समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया था. 2008 के मालेगांव ब्लास्ट में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इस मामले में अदालत ने मुआवजे के रूप में मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देने का आदेश भी दिया. साध्वी प्रज्ञा ने अपनी गिरफ्तारी से लेकर बरी होने तक के अनुभवों को साझा किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें झूठ बोलने के लिए मजबूर किया गया था.
साध्वी प्रज्ञा का दावा
साध्वी प्रज्ञा ने शनिवार को कहा, 'उन्होंने मुझसे कई लोगों का नाम लेने के लिए कहा था, लेकिन मैंने किसी का नाम नहीं लिया. मुझे टॉर्चर किया गया था, मेरे फेफड़े खराब हो गए थे और मुझे गैरकानूनी तरीके से एक अस्पताल में रखा गया था.' उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत का नाम लेने के लिए भी कहा गया. साध्वी प्रज्ञा ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें यह धमकी दी गई थी कि अगर उन्होंने उन लोगों के नाम नहीं लिए तो उन्हें मार दिया जाएगा. उनका कहना था, 'उन्होंने मुझसे कहा कि अगर तुम इन लोगों का नाम नहीं लोगी तो हम तुम्हें मार देंगे.'
मालेगांव ब्लास्ट केस
मुंबई की एक स्पेशल NIA कोर्ट ने 31 जुलाई को 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया. इनमें पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल थे. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि ब्लास्ट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल का चेसिस नंबर मिटा दिया गया था और यह साबित नहीं हो पाया कि साध्वी प्रज्ञा उस वाहन की मालिक थीं. कोर्ट ने यह भी कहा कि साध्वी प्रज्ञा ने घटना से दो साल पहले संन्यास ले लिया था और भौतिक सुखों का त्याग किया था. कोर्ट ने इस मामले में कोई विश्वसनीय सबूत नहीं पाए जिससे यह साबित हो सके कि साध्वी प्रज्ञा का मालेगांव ब्लास्ट से कोई लेना-देना था.
मुआवजा
कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट में मारे गए 6 लोगों के परिवारों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया. यह फैसला कोर्ट द्वारा आरोपी को बरी करने के बाद आया, जिसमें साध्वी प्रज्ञा और उनके साथ अन्य आरोपियों को निर्दोष ठहराया गया.


