Mission Gaganyaan: गगनयान मिशन की ओर भारत का बड़ा कदम, ISRO ने किया पहला सफल एयर ड्रॉप टेस्ट...
इसरो ने गगनयान मिशन की सफलता के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए पैराशूट आधारित मंदन प्रणाली का पहला एयर ड्रॉप परीक्षण (IADT-01) सफलतापूर्वक पूरा किया. यह परीक्षण अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए अहम है. दिसंबर में मानवरहित मिशन G1 लॉन्च होगा जिसमें रोबोट व्योममित्रा शामिल होगी. मिशन के 80% से अधिक परीक्षण पूरे हो चुके हैं और भविष्य के मानव मिशन की तैयारी तेजी से जारी है.

ISRO Gaganyaan mission 2025 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गगनयान मिशन से जुड़े पैराशूट आधारित मंदन प्रणाली (Deceleration System) का पहला एकीकृत एयर ड्रॉप परीक्षण (IADT-01) सफलता पूर्वक पूरा कर लिया है. यह परीक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि जब अंतरिक्ष यात्री मिशन के अंत में पृथ्वी पर लौटेंगे, तो उनकी सुरक्षित लैंडिंग हो सके.
परीक्षण में देश की प्रमुख एजेंसियों का योगदान
ISRO successfully accomplishes first Integrated Air Drop Test (IADT-01) for end to end demonstration of parachute based deceleration system for Gaganyaan missions. This test is a joint effort of ISRO, Indian Air Force, DRDO,Indian Navy and Indian Coast Guard pic.twitter.com/FGaAa1Ql6o
— ISRO (@isro) August 24, 2025
दिसंबर में पहला मानवरहित गगनयान मिशन, G1
ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने जानकारी दी है कि गगनयान मिशन की पहली परीक्षण उड़ान, जो मानवरहित होगी, दिसंबर 2025 में की जाएगी. इस उड़ान में अर्ध-मानव रोबोट 'व्योममित्रा' को अंतरिक्ष भेजा जाएगा, ताकि भविष्य में होने वाले मानव मिशन की तैयारी की जा सके.
अब तक पूरे हुए 80% से अधिक परीक्षण
इसरो प्रमुख ने बताया कि गगनयान मिशन के लिए अब तक लगभग 7,700 परीक्षण पूरे हो चुके हैं, जो कुल परीक्षणों का 80% है. शेष 2,300 परीक्षण मार्च 2026 तक पूरे कर लिए जाने की उम्मीद है. यह मिशन हर कदम पर सावधानी और तकनीकी सटीकता से आगे बढ़ रहा है.
गगनयान के लिए ऑर्बिटल मॉड्यूल तैयार
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि गगनयान के लिए आवश्यक मानव रेटेड लॉन्च व्हीकल (HLVM-3) का निर्माण और परीक्षण सफलतापूर्वक हो चुका है. साथ ही, ऑर्बिटल मॉड्यूल, जिसमें क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल शामिल हैं, की प्रणालियाँ विकसित और परीक्षण की जा चुकी हैं.
अन्य तकनीकी तैयारी और बुनियादी ढांचा
क्रू एस्केप सिस्टम (CES) के पांच मोटर्स का सफल स्थैतिक परीक्षण किया गया. गगनयान कंट्रोल सेंटर, क्रू ट्रेनिंग फैसिलिटी, लॉन्च पैड का पुनःनिर्माण जैसे बुनियादी ढांचे का काम भी पूरा हो चुका है. पुनर्प्राप्ति (recovery) प्रक्रिया के लिए आवश्यक संसाधनों को भी अंतिम रूप दे दिया गया है.
भविष्य की योजनाएँ, मानव मिशन से लेकर चंद्र अभियान तक
गगनयान-1 मिशन के बाद भारत की नजर 2027 में पहले मानवयुक्त मिशन पर है. इसके अलावा, 2028 में चंद्रयान-4 मिशन. शुक्र ग्रह मिशन. 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है.
भारत अंतरिक्ष की नई ऊंचाइयों की ओर
गगनयान मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं का नया युग है. ISRO का यह परीक्षण न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह इस बात की गारंटी भी है कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन सुरक्षित, वैज्ञानिक रूप से उन्नत और आत्मनिर्भर होगा.


