आज से संसद का मानसून सत्र शुरू, विपक्ष और सरकार आमने-सामने
संसद का मानसून सत्र आज से शुरू हो गया है. ये सत्र 21 अगस्त तक चलेगा. एक महीने तक चलने वाले इस सत्र में भारी बहस और तीखी राजनीतिक टकराव की संभावनाएं हैं.

संसद का मानसून सत्र आज से आरंभ हो गया है और यह 21 अगस्त तक चलेगा. पूरे एक महीने चलने वाले इस सत्र में भारी बहस और तीखी राजनीतिक टकराव की संभावनाएं हैं. विपक्ष पहले ही सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की रणनीति तैयार कर चुका है. इंडिया गठबंधन के नेताओं ने शनिवार को बैठक कर संसद में उठाए जाने वाले विषयों पर स्पष्ट रूपरेखा बनाई है.
सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक
रविवार को सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि सरकार विपक्ष द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर चर्चा और जवाब देने को तैयार है. केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने बयान दिया कि सरकार नियमों और प्रक्रियाओं के तहत हर विषय पर बहस को तैयार है.
विपक्ष की तरफ से बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR), पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर का अचानक रोकना और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान मध्यस्थता वाले बयान जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की गई है. कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने साफ तौर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन गंभीर मुद्दों पर संसद में बयान देना चाहिए.
बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक
सत्र के पहले दिन लोकसभा में इनकम टैक्स बिल पर बनी सेलेक्ट कमेटी अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. इस बिल को इसी सत्र में पारित कराना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है. इसके अलावा स्पीकर चैंबर में बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक भी होगी, जिसमें सप्ताह भर की कार्यसूची तय की जाएगी. साथ ही, पिछले तीन महीनों में दिवंगत हुए सात सांसदों और पूर्व सांसदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी.
विपक्ष के तेवर देखते हुए, सरकार पर इन मुद्दों का व्यापक जवाब देने का दबाव है. ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में ट्रंप के दावों को लेकर संसद में स्पष्टीकरण देना भी जरूरी होगा. आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया कि बिहार में SIR एक बड़ा चुनावी घोटाला है और इस पर गंभीरता से चर्चा होनी चाहिए.
सियासी संग्राम बनेगा संसद
इंडिया गठबंधन ने तय किया है कि वे संसद के भीतर पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर, बिहार SIR और ट्रंप के बयान जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाएंगे. ऐसे में यह सत्र केवल विधायी कार्यों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सरकार और विपक्ष के बीच सियासी संग्राम का मंच भी बनेगा.


