पुरी में रथ खींचते समय घायल हुए 500 से अधिक श्रद्धालु, प्रशासन सतर्क
पुरी में वार्षिक रथ यात्रा समारोह के दौरान भारी भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान 500 से ज़्यादा श्रद्धालुओं के घायल होने की सूचना मिली.

ओडिशा के पवित्र शहर पुरी में वार्षिक रथ यात्रा समारोह के दौरान भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे 500 से ज़्यादा श्रद्धालुओं के घायल होने की सूचना मिली. यह घटना तब घटी जब भक्त भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के विशाल रथ खींचने में हिस्सा लेने पहुंचे थे.
घायल श्रद्धालुओं को तत्काल इलाज
ओडिशा सरकार ने दुर्घटनास्थल की स्थिति का निरीक्षण किया. राज्य मंत्री मुकेश महालिंग ने बताया कि नमी की वजह से कई भक्त बेहोश हो गए थे. उन्होंने कहा कि भक्तों में से कुछ की हालत बिगड़ी तो उन्हें तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अस्पताल में भर्ती कराया गया. ग्लूकोज और पानी की पर्याप्त व्यवस्था की गई है. उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि घायल श्रद्धालुओं को उचित देखभाल मिल रही है.
रथ खींचने का आयोजन
यह रथयात्रा समारोह मुख्य रूप से 25 जून को हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालु सुबह से ही रथ की रस्सियां पकड़कर मंदिर से लगभग 2.6 किलोमीटर दूर श्री गुंडिचा मंदिर तक खिंचते रहे. भक्तों के साथ राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति और मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी भी शामिल हुए. उत्सव के दौरान "जय जगन्नाथ" और "हरि बोल" के उद्घोष, झांझ, तुरही और शंख की गूंज रही. सबसे पहले भगवान बलभद्र का तालध्वज रथ निकला, उसके बाद देवी सुभद्रा का दर्पदलन और अंत में भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ दृश्य में आए.
राजसी पहल और लोक आयोजन
तीनों रथों की रस्म 'छेरा पहानरा' गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब ने पूरी की, जिसके उपरांत रथों पर लकड़ी के रंगीन घोड़े सजाए गए. 'पहंडी' रस्म के तहत 12वीं सदी के मंदिर से मूर्तियों को रथ तक ले जाया गया. ओडिशा के विभिन्न इलाकों के लोक कलाकारों, नर्तकों व संगीतकारों ने इस भव्य आयोजन को और उत्साहपूर्ण बना दिया. गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती सहित उनके शिष्यों ने भी दर्शन किया.
कड़ी सुरक्षा और मॉडर्न तकनीक
इस बार आयोजन को सुरक्षित बनाने के लिए लगभग 10,000 पुलिस, सीपीएफ, एनएसजी और आंतरिक सुरक्षा तंत्र की तैनाती की गई थी. डीजीपी यशवंत खुरानिया ने बताया कि समारोह को सुचारू रूप से चलाने के लिए 275 से ज़्यादा एआई-सक्षम सीसीटीवी लगाए गए. एडीजीपी (कानून व्यवस्था) संजय कुमार ने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद मिलने वाली खुफिया सूचनाओं के मद्देनजर तटरक्षक ड्रोन, एंटी-ड्रोन सिस्टम, कैनाइन स्क्वाड और एंटी-सैबोटेज यूनिट भी योगदान दे रही हैं.


