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अंतिम सांस तक लड़ाई जारी...आत्मसमर्पण के वादे से मुकरे नक्सली, सरकार बोली-ऑपरेशन में कोई ढील नहीं

भाकपा (माओवादी) द्वारा आत्मसमर्पण और अभियानों में विराम की मांग के अगले ही दिन उसके केंद्रीय सैन्य आयोग ने पीएलजीए सप्ताह को “अंतिम सांस तक लड़ने” की प्रतिज्ञा के साथ मनाने का आह्वान किया.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

नागपुर : प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) द्वारा अपने बिखरे हुए कार्यकर्ताओं को आत्मसमर्पण कर सरकारी पुनर्वास योजनाओं में शामिल होने का अवसर देने के लिए नक्सल-विरोधी अभियानों में तीन महीने के विराम की मांग किए जाने के ठीक एक दिन बाद उसका केंद्रीय सैन्य आयोग अचानक आक्रामक स्वर में सामने आया. आयोग ने पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) सप्ताह को 2 से 8 दिसंबर तक “अंतिम सांस तक लड़ने” की प्रतिबद्धता के साथ मनाने का आह्वान करते हुए यह संकेत दिया कि संगठन अभी भी संघर्ष को जारी रखने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को प्रेरित कर रहा है.

सरकारी दबाव के बीच संघर्ष को जारी रखने का संकल्प
आपको बता दें कि जहां केंद्र और राज्य सरकारें बार-बार 2026 तक माओवादी हिंसा को समाप्त करने की बात कर रही हैं, वहीं सुरक्षा एजेंसियां भी किसी ढील के बिना अभियानों को जारी रखने के लिए तैयार बैठी हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि चाहे माओवादी आत्मसमर्पण करें या लड़ाई का रास्ता चुनें, हथियारबंद होने की स्थिति में उनका सामना ज़रूर किया जाएगा. इसी बीच माओवादियों ने यह स्वीकार किया है कि पिछले वर्ष उनके करीब 320 सदस्य मारे गए हैं, जिनमें कई केंद्रीय और राज्य स्तरीय नेता शामिल हैं, जबकि दंडकारण्य क्षेत्र में सबसे अधिक हताहत हुए हैं.

हताहतों पर दावा, आंतरिक आलोचना और संगठनात्मक संकट

माओवादी नेतृत्व ने यह भी दावा किया कि उन्होंने 116 सुरक्षाकर्मियों को मार गिराया है, लेकिन नक्सल-विरोधी तंत्र ने इन आंकड़ों को असत्य बताया है. अपनी आंतरिक समीक्षा में केंद्रीय सैन्य आयोग ने भूपति-सतीश धड़े पर “227 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण” कर संगठन के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया. संगठन ने इस समूह को “क्रांतिकारी गद्दार” बताते हुए अपने कार्यकर्ताओं से चेतावनी दी कि संशोधनवादी सोच आंदोलन को कमजोर कर सकती है. साथ ही नेतृत्व ने दोहराया कि शस्त्र संघर्ष ही उनके अनुसार सफलता का एकमात्र मार्ग है और 2026 के बाद भी अभियान चलाते रहने की बात कही.

वर्षगांठ सप्ताह की गतिविधियां और बढ़ी हुई सतर्कता
पीएलजीए सप्ताह की तैयारियों में छोटे स्तर पर प्रचार, बैठकें और नए सदस्यों की भर्ती जैसे कार्यक्रमों को गुप्त रूप से आयोजित करने का निर्देश दिया गया है. संगठन ने इसे पार्टी और आंदोलन की रक्षा के रूप में प्रस्तुत किया है. यह घोषणा ऐसे समय आई है जब महाराष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी बिना अभियान रोके बड़े स्तर पर आत्मसमर्पण कराए जाने का समर्थन कर रहे हैं, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह लगातार यह दावा कर रहे हैं कि उग्रवाद समाप्ति की ओर बढ़ रहा है.

मनोबल बचाने की कोशिश और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता
वर्षगांठ सप्ताह से पहले सुरक्षा एजेंसियाँ बेहद सतर्क हैं, क्योंकि उनका मानना है कि माओवादियों द्वारा संघर्ष की नई पुकार उनके घटते प्रभाव और कमजोर पड़ते गढ़ों में मनोबल को फिर से मजबूत करने का तरीका हो सकता है. माओवादी संगठन पिछले 25 वर्षों से अपने मारे गए सदस्यों की स्मृति में पीएलजीए सप्ताह मनाता रहा है, जिसमें लड़ाकों के कारनामों को उजागर कर नए कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया जाता है. इस बार संगठन ने इसे अपने अस्तित्व और प्रतिरोध के प्रतीक के तौर पर प्रस्तुत किया है और अंतिम क्षण तक संघर्ष जारी रखने की शपथ दोहराई है.

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26 November 2025, 08:01 AM IST

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