एनडीए की बिहार सीट बंटवारा अंतिम चरण में, बराबर सीटों पर लड़ सकते हैं JDU-BJP, जानें क्या है चिराग पासवान की मांग
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एनडीए में सीट बंटवारे की बातचीत अंतिम चरण में है. जेडीयू और भाजपा 100-105 सीटों पर लड़ने को तैयार हैं, जबकि चिराग पासवान 40 सीटें मांग रहे हैं. छोटे दलों की भूमिका और विपक्ष की ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ से मुकाबला और रोचक होने की संभावना है.

बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. सत्ता में काबिज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर बातचीत अंतिम चरण में पहुंच गई है. सूत्रों के अनुसार, भाजपा और जेडीयू दोनों ही 100-105 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं, जबकि कुल सीटों की संख्या 243 है.
2020 का प्रदर्शन
2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 43 सीटें जीती थीं. वहीं भाजपा ने 110 सीटों पर लड़कर 74 सीटों पर जीत दर्ज की थी. सीटों के मुकाबले भाजपा का स्ट्राइक रेट जेडीयू से कहीं बेहतर रहा, इसके बावजूद मुख्यमंत्री पद नीतीश कुमार को मिला. इस बार जेडीयू 100 से कम सीटों पर समझौते को लेकर सहज नहीं है.
चिराग पासवान की पार्टी की मांगें
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान इस बार एनडीए का हिस्सा हैं. पिछली बार उन्होंने अकेले चुनाव लड़ा था और 115 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर केवल एक सीट जीत पाए थे. हालांकि, विश्लेषकों के अनुसार, उनके उम्मीदवारों की मौजूदगी ने जेडीयू को 30 से अधिक सीटों पर नुकसान पहुंचाया था. इस बार चिराग पासवान 40 सीटों की मांग कर रहे हैं, लेकिन रिपोर्टों के अनुसार, उन्हें इतनी सीटें मिलने की संभावना बेहद कम है.
अन्य सहयोगी दलों की भूमिका
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के जीतन राम मांझी और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा जैसे छोटे दलों को कितनी सीटें दी जाएंगी, यह भी एनडीए के भीतर गहन चर्चा का विषय है. वहीं विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), जो फिलहाल विपक्षी महागठबंधन का हिस्सा है, अगर पाला बदलती है, तो समीकरणों में बड़ा बदलाव आ सकता है.
एलजेपी फैक्टर
2020 में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को निशाने पर लिया लेकिन नरेंद्र मोदी और भाजपा के प्रति समर्थन जताया. इससे जेडीयू को भारी नुकसान हुआ, क्योंकि एलजेपी ने भाजपा विरोध नहीं किया, लेकिन जेडीयू के वोट काटे. इस बार एनडीए इस स्थिति को दोहराने से बचना चाहता है और सीट बंटवारे में सावधानी बरत रहा है.
नीतीश के नेतृत्व पर स्पष्टता
एनडीए के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, चुनाव अभियान का केंद्रबिंदु नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने पर रहेगा. हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि सीट बंटवारे में सहयोगी दलों को संतुष्ट करने के लिए कुछ छोटे-मोटे बदलाव करने पड़ सकते हैं. भाजपा-जेडीयू दोनों में सीटों की संख्या को लेकर संवेदनशीलता बनी हुई है.
विपक्ष की तैयारियां भी तेज
दूसरी ओर, कांग्रेस और आरजेडी के नेतृत्व में विपक्षी महागठबंधन ने भी अपने अभियान को गति दी है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जल्द ही 'मतदाता अधिकार यात्रा' शुरू करने वाले हैं, जिससे चुनावी माहौल और गर्म होने की संभावना है.


