न नदियां, न झरने… फिर भी पानी की कमी नहीं! जानिए इन 7 देशों का राज
क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया में कुछ ऐसे भी देश हैं जहां एक भी नदी नहीं बहती? ये जानकर हैरानी जरूर होगी, लेकिन ये बिल्कुल सच है. हैरानी की बात ये भी है कि फिर भी इन देशों में पीने के पानी की कोई कमी नहीं होती.

ग्लोब पर अधिकतर देशों की पहचान उनकी नदियों से होती है, लेकिन सोचिए उन जगहों का क्या हाल होगा जहां एक भी नदी नहीं बहती! चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसे देशों में भी पानी का संकट नहीं है। इनके पास अनोखे प्राकृतिक संसाधन और हाईटेक जल प्रबंधन उपाय हैं, जिनकी वजह से यहां के लोग नदी न होने के बावजूद भरपूर साफ़ पानी इस्तेमाल करते हैं.
खाड़ी के रेगिस्तानों से लेकर हिंद महासागर के छोटे द्वीपों तक, ये देश अपनी खास भौगोलिक संरचना और अत्याधुनिक जल तकनीकों के कारण पानी की कमी महसूस ही नहीं होने देते। आइए जानते हैं उन सात देशों के बारे में जहां एक भी स्थायी नदी नहीं है, फिर भी जीवन रफ्तार से चलता है.
सूखी वादियों में पनपे आधुनिक डीसेलिनेशन प्लांट
सऊदी अरब पूरी तरह रेगिस्तानी भूभाग है। यहां कोई स्थायी नदी नहीं है, बस ‘वाडी’ कहलाने वाली सूखी नालियां हैं जिनमें बारिश के समय थोड़े दिन पानी बहता है। देश की जल ज़रूरतें समुद्री पानी को मीठा करने वाले विशाल डीसेलिनेशन प्लांट और गहरे भूमिगत एक्विफर्स पूरी करते हैं.
छिद्रपूर्ण कोरल द्वीपों का भूजल भंडार
हिंद महासागर में बसा मालदीव प्रवाल द्वीपों (कोरल रीफ) का समूह है। छिद्रयुक्त मिट्टी बारिश का पानी सोखकर प्राकृतिक भूजल भंडार बना लेती है। बरसात के मौसम में बड़े-बड़े रूफ‑हार्वेस्टिंग टैंक्स भी भरकर साल भर पीने का पानी मुहैया कराते हैं.
चूना पत्थर की घाटियों ने रचा भूमिगत जलसंग्रह
छोटे यूरोपीय द्वीप माल्टा में चूना पत्थर (लाइमस्टोन) का भूविज्ञान है, जिससे सतह पर नदी बन ही नहीं पाती। लेकिन इसी चट्टानी धरातल में पानी रिसकर विशाल कार्स्ट एक्विफ़र्स बनाता है। साथ ही, आधुनिक रिवर्स‑ऑस्मोसिस प्लांट भी यहां मीठे पानी की भरपूर सप्लाई देते हैं.
कृत्रिम नहरें और झीलें बनीं जीवनरेखा
मध्य‑पूर्व का छोटा द्वीप‑राष्ट्र बहरीन भी नदियों से वंचित है। यहां कृत्रिम नहरें और लैगून समुद्री पानी का प्रवाह नियंत्रित करके खारेपन को कम करते हैं। देश भर में फैले डीसेलिनेशन संयंत्र खाड़ी के खारे पानी को पीने योग्य बनाते हैं.
वादी और आर्टिफिशियल लेक ने संभाली जल व्यवस्था
रेत के समंदर में बसा कतर भी कोई स्थायी नदी नहीं रखता। बारिश आने पर वादी (सूखी घाटियाँ) कुछ समय के लिए बहती हैं। कतर ने बड़े‑बड़े रिज़र्व वायर रेन‑वॉटर पॉन्ड और मेगा डीसेलिनेशन स्टेशन खड़े कर पानी की स्थायी आपूर्ति सुनिश्चित की है.
झीलों व भूमिगत टैंकों का सहारा
कुवैत की शुष्क जलवायु किसी नदी को जन्म नहीं लेने देती। इसके बावजूद, देश ने समुद्री पानी शुद्ध करने वाले अत्याधुनिक वॉटर ट्रीटमेंट हब और कृत्रिम झीलें तैयार कर ली हैं। इसके अलावा, विशाल भूमिगत स्टोरेज टैंक रणनीतिक जल भंडारण करते हैं.
वादी नेटवर्क और ‘अफलाज’ प्रणाली
हालाँकि अक्सर सूची से छूट जाता है, ओमान भी स्थायी नदियों से वंचित है। यहां सदियों पुरानी ‘अफलाज’सिंचाई प्रणालियाँ—चट्टानों में खोदी गई भूमिगत नहरें पर्वतीय जलस्रोतों को दूर दराज के गांवों तक पहुंचाती हैं। मॉडर्न डीसेलिनेशन यूनिट भी बड़ी भूमिका निभाते हैं.


