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Vidoe : मृत लोगो के साथ चाय पीने का मौका... मरे हुए लोगों से मिले राहुल गांधी, EC का जताया आभार

बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में भारी गड़बड़ी सामने आई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उन सात जीवित लोगों से मुलाकात की, जिन्हें आयोग ने मृत घोषित कर दिया था. उन्होंने इसे राजनीतिक साजिश बताया और चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाए. कांग्रेस का दावा है कि यह मामला व्यापक स्तर पर फैला हुआ है और लोकतंत्र के अधिकारों का उल्लंघन है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Bihar Election 2025 : बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले वोटर लिस्ट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. विपक्षी दलों का आरोप है कि कई जिंदा लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं और उन्हें "मृत" घोषित कर दिया गया है. इस मुद्दे ने तब और तूल पकड़ा जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इन कथित तौर पर "मृत" बताए गए लोगों से मुलाकात की और उनके साथ बैठकर चाय पी. यह पूरा घटनाक्रम बिहार के राघोपुर विधानसभा क्षेत्र का है, जो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का निर्वाचन क्षेत्र भी है.

राहुल गांधी की अनोखी चाय-पार्टी

राहुल गांधी ने बुधवार को उन सात लोगों से मुलाकात की, जिन्हें चुनाव आयोग की नई मतदाता सूची में मृत बताया गया है. इन लोगों में रामइकबाल राय, हरेंद्र राय, लालमुनी देवी, वचिया देवी, लालवती देवी, पुनम कुमारी और मुन्ना कुमार शामिल हैं. ये सभी खुद को जीवित और मतदाता अधिकार से युक्त मानते हैं, लेकिन उनके नाम अचानक वोटर लिस्ट से गायब पाए गए. राहुल गांधी ने इनके साथ चाय पीते हुए न केवल इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया, बल्कि सोशल मीडिया पर व्यंग्य करते हुए कहा कि "जीवन में बहुत दिलचस्प अनुभव हुए, लेकिन मृत लोगों के साथ चाय पीने का अनुभव पहली बार हुआ. इसके लिए चुनाव आयोग का धन्यवाद."

एक दो नहीं, पूरे क्षेत्र में बड़ी गड़बड़ी का दावा
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि यह मामला केवल इन सात लोगों तक सीमित नहीं है. उनका दावा है कि राघोपुर सहित कई क्षेत्रों में सैकड़ों जीवित मतदाताओं को मृत, प्रवासी या अनुपलब्ध बताकर सूची से हटा दिया गया है. पार्टी के अनुसार, ये सिर्फ शुरुआत भर है और अगर पूरी जांच हो, तो यह आंकड़ा काफी बड़ा हो सकता है. कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने मृत मतदाताओं की कोई आधिकारिक सूची सार्वजनिक नहीं की, जिससे सच्चाई सामने आ ही नहीं पाई. पार्टी कार्यकर्ताओं ने खुद 2-3 बूथों पर जाकर अनौपचारिक रूप से जानकारी इकट्ठा की और तभी यह मामला उजागर हो पाया.

सिर्फ लापरवाही नहीं, साजिश की आशंका
राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने इस पूरी घटना को केवल प्रशासनिक भूल या लापरवाही नहीं माना, बल्कि इसे एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश करार दिया है. उनका कहना है कि चुनाव आयोग की यह चूक या जानबूझकर किया गया निर्णय सीधे तौर पर लोकतंत्र पर हमला है. वोट देना नागरिक का मौलिक अधिकार है और अगर उसे बिना सूचना के ही छीन लिया जाए, तो यह संविधान के खिलाफ है. पार्टी का आरोप है कि यह कदम खास वर्ग या पार्टी के मतदाताओं को वोट देने से रोकने के लिए उठाया गया है.

लोकतंत्र की नींव पर सवाल
यह पूरा मामला न केवल बिहार चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी चिंता जताता है. अगर जीवित व्यक्ति को बिना किसी प्रक्रिया के मृत घोषित कर दिया जाए और उसकी आवाज़ को चुनावी प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाए, तो यह बहुत ही खतरनाक संकेत है. यह जरूरी है कि चुनाव आयोग इस मामले को गंभीरता से ले और पूरी पारदर्शिता के साथ मतदाता सूची की जांच और सुधार करे.

मतदाता सूची में पारदर्शिता की सख्त जरूरत
बिहार में मतदाता सूची से जुड़े इस विवाद ने साफ कर दिया है कि चुनाव से पहले मतदाता रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में गहरी पारदर्शिता और ईमानदारी की जरूरत है. किसी भी लोकतंत्र की बुनियाद वहां के नागरिकों का वोट होता है, और अगर उसी अधिकार को छीन लिया जाए, तो लोकतंत्र कमजोर पड़ता है. ऐसे में अब देश की निगाहें चुनाव आयोग पर हैं कि वह इस मसले को कैसे सुलझाता है और मतदाताओं का भरोसा दोबारा कैसे कायम करता है.

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13 August 2025, 08:56 PM IST

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