पाक सेना का सम्मान मिलना चाहिए...' तहव्वुर राणा की विरोधी सोच को US ने किया बेनकाब
अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा जारी एक दस्तावेज से खुलासा हुआ है कि 26/11 मुंबई आतंकी हमले में शामिल तहव्वुर राणा ने न केवल आतंकियों का समर्थन किया, बल्कि उन्हें पाकिस्तान का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 'निशान-ए-हैदर' देने की मांग भी की. उसने अपने दोस्त डेविड हेडली से कहा कि "भारतीय इसके लायक थे, जो उसकी भारत विरोधी सोच को उजागर करता है.

भारत को दहला देने वाले 26/11 मुंबई हमले में एक बार फिर एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है. अमेरिका के न्याय विभाग द्वारा जारी एक दस्तावेज ने साफ कर दिया है कि इस नरसंहार के पीछे शामिल तहव्वुर राणा ने न केवल इस कृत्य की सराहना की, बल्कि हमलावर आतंकियों को ‘निशान-ए-हैदर’ जैसे सर्वोच्च सम्मान से नवाजने की मांग की. राणा के शब्द इस बात का प्रमाण हैं कि उसका भारत और भारतीयों के प्रति कितना गहरा ज़हर था.
डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, तहव्वुर राणा ने हमले के तुरंत बाद अपने बचपन के दोस्त और सह-साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली से बातचीत के दौरान कहा कि मुंबई को लहूलुहान करने वाले आतंकियों को पाकिस्तान का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार दिया जाना चाहिए. इस शर्मनाक टिप्पणी ने एक बार फिर राणा की मानसिकता को उजागर कर दिया है.
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा मूल रूप से पाकिस्तान सेना के मेडिकल कोर में काम कर चुका है. 1990 के दशक के अंत में वह कनाडा चला गया और वहां से अमेरिका जाकर शिकागो में इमिग्रेशन कंसल्टेंसी का कारोबार शुरू किया. इसी व्यवसाय की आड़ में उसने डेविड हेडली को मुंबई में रेकी करने के लिए "कवर" दिया.
निशान-ए-हैदर' देने की मांग
अमेरिकी दस्तावेजों में बताया गया है कि राणा और हेडली की इंटरसेप्टेड कॉल में राणा ने 26/11 को हमले में मारे गए 9 आतंकियों की तारीफ करते हुए कहा, "उन्हें निशान-ए-हैदर मिलना चाहिए." यह पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है, जो आमतौर पर युद्ध में मारे गए सैनिकों को दिया जाता है. इतना ही नहीं, उसने यह भी कहा कि "भारतीय इसके लायक थे."
जब मुंबई बन गई थी जंग का मैदान
26 से 29 नवंबर 2008 तक मुंबई में जो कुछ हुआ, वह इतिहास का सबसे खौफनाक आतंकी हमला था. दस लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने समंदर के रास्ते शहर में दाखिल होकर CST स्टेशन, ताज होटल, ओबेरॉय होटल, नरीमन हाउस और दो कैफे समेत 12 जगहों पर हमला बोला. हमले में 166 निर्दोष लोग मारे गए, जिनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे. आंकड़ों के मुताबिक, इस आतंकी हमले से मुंबई को करीब 1.5 बिलियन डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ.
कैसे हुआ भारत प्रत्यर्पण?
भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने लंबे कानूनी संघर्ष के बाद तहव्वुर राणा को अमेरिका से सफलतापूर्वक प्रत्यर्पित कराया. भारत लाने के बाद उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया है. अधिकारियों के अनुसार, राणा और हेडली के बीच 2008 हमले से पहले 230 से ज्यादा फोन कॉल्स हुए थे.
क्यों है यह खुलासा बेहद अहम?
यह दस्तावेज राणा की मानसिकता और उसकी आतंकी सोच को दुनिया के सामने लाता है. न सिर्फ उसने हमले में सहयोग किया, बल्कि उस जघन्य कृत्य को गौरव का विषय बताया. ऐसे वक्त में, जब भारत आतंक के खिलाफ दुनिया को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है, राणा जैसे आतंकी की पोल खुलना बेहद जरूरी है.


