'पं. नेहरू कैनेडी से ज्यादा उनकी बीवी में ले रहे थे रुचि', पीएम मोदी ने जिस किताब का लिया नाम उसमें क्या?
किताब में उस दौर की प्रमुख घटनाओं का उल्लेख किया गया है, जब भारत 1962 में चीन से युद्ध का सामना कर रहा था. इस पुस्तक के माध्यम से यह साफ होता है कि उस समय विदेश नीति के नाम पर कई खेल खेले जा रहे थे. इसमें यह भी बताया गया है कि जब देश तमाम समस्याओं से जूझ रहा था, तब पं नेहरू किन कामों में व्यस्त थे.

JFK's Forgotten Crisis: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लोकसभा में एक किताब का उल्लेख किया, जिसका नाम है JFK's Forgotten Crisis. यह किताब प्रसिद्ध विदेश नीति विशेषज्ञ ब्रूस रीडेल द्वारा लिखी गई है और इसमें भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी के बीच हुई बातचीत का विस्तार से वर्णन किया गया है.
मोदी ने इस किताब का हवाला देते हुए विदेश नीति पर विपक्ष की आलोचना की और कहा कि यह किताब उन लोगों के लिए एक eye-opener हो सकती है, जो विदेश नीति के बारे में गंभीरता से समझना चाहते हैं. पीएम मोदी ने लोकसभा में कहा कि कुछ लोग विदेश नीति पर बात किए बिना अपनी बात पूरी नहीं समझते, लेकिन वे यह किताब पढ़ने की सलाह देते हैं ताकि वे समझ सकें कि पं. नेहरू के समय भारत की विदेश नीति किस दिशा में थी.
विदेश नीति के नाम पर क्या?
किताब में उस दौर की प्रमुख घटनाओं का उल्लेख किया गया है, जब भारत 1962 में चीन से युद्ध का सामना कर रहा था. इस पुस्तक के माध्यम से यह साफ होता है कि उस समय विदेश नीति के नाम पर कई खेल खेले जा रहे थे.
यह वही कमरा.., जिसमें एडविना
इस किताब में खासतौर पर यह उल्लेख किया गया है कि पं. नेहरू अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी के बजाय उनकी पत्नी जैकी कैनेडी में अधिक रुचि रखते थे. जब जैकी कैनेडी भारत आईं, तो नेहरू ने उन्हें प्रधानमंत्री निवास के एक विशेष गेस्ट सूट में ठहरने के लिए कहा, जिस कमरे में अक्सर एडविना माउंटबेटन ठहरती थी. एडविना माउंटबेटन, भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी थीं और माना जाता था कि उनका पं. नेहरू से करीबी रिश्ता था.
दरवाजे पर लगवाया था जैकी का फोटो
किताब में यह भी दावा किया गया है कि नेहरू ने जैकी पर विशेष ध्यान देते थे, इसी वजह से वे जैकी का एक चित्र अपने घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर लगवा दिए थे. इसके अलावा, किताब में यह भी कहा गया है कि जब पं. नेहरू 1961 में अमेरिका गए थे, तब राष्ट्रपति कैनेडी ने इसे "अपने राष्ट्रपति कार्यकाल का सबसे खराब राजकीय दौरा" कहा था. इसके बाद, कैनेडी के सलाहकार और भारतीय दूतावास के अमेरिकी राजदूत गैल्ब्रेथ ने भी इस दौरे को लेकर कई बयान दिए थे.
कांग्रेस को असहज करने वाली किताब
इस किताब के जरिए रीडेल ने उस दौर की गहरी राजनीतिक और व्यक्तिगत दास्तान को उजागर किया है, जो कांग्रेस के लिए असहज हो सकती है. प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में सिर्फ किताब का नाम लिया, लेकिन इस किताब में ऐसी कई घटनाएं हैं जो पं. नेहरू और जैकी कैनेडी के बीच के रिश्तों पर प्रकाश डालती हैं. फिलहाल पीएम मोदी ने किताब में क्या चीजें हैं इसपर बातचीत नहीं की.