अडानी को ठेका दिलाने विदेश जाते हैं PM, लेकिन गुजरात में किसान बोनस मांगता है तो उस पर लाठियां बरसाते हैं : केजरीवाल
मोडासा में आयोजित महापंचायत में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने गुजरात सरकार पर किसानों की अनदेखी, बोनस में कटौती और लाठीचार्ज जैसे दमनात्मक कदमों का आरोप लगाया. उन्होंने सरकार को उद्योगपतियों की पक्षधर बताते हुए गरीब किसानों के साथ अन्याय का विरोध किया. आम आदमी पार्टी ने खुद को मजबूत विकल्प बताया और न्याय, सम्मान व बदलाव की लड़ाई में किसानों के साथ खड़े होने का संकल्प जताया.

गुजरात के मोडासा में आयोजित महापंचायत में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों और पशुपालकों के समर्थन में तीखा भाषण दिया. केजरीवाल ने भाजपा सरकार पर सत्ता के अहंकार और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विदेशों में जाकर अडानी को ठेके दिलाते हैं, लेकिन जब गुजरात का किसान अपने बोनस की मांग करता है तो उसे लाठियों से पीटा जाता है. उन्होंने सरकार को अमीरों की सरकार बताते हुए कहा कि गरीबों को केवल लाठियां और आंसू गैस ही मिलती हैं.
इस दौरान उन्होंने अशोक चौधरी नामक पशुपालक की मृत्यु को भी मुद्दा बनाते हुए कहा कि अब तक उनके परिवार को एक रुपये का मुआवजा तक नहीं दिया गया है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह सरकार जनता की नहीं, सिर्फ उद्योगपतियों की है, जो किसानों को उनका हक देने के बजाय उन्हें दबाने और डराने का काम करती है.
बोनस में भेदभाव, किसानों के साथ अन्याय
अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण में बताया कि हर साल जून में किसानों और पशुपालकों को बोनस दिया जाता रहा है, लेकिन इस वर्ष अब तक कोई भुगतान नहीं हुआ है. सरकार ने 9.5% लाभ की घोषणा तो की, पर उस पर अमल नहीं किया. उन्होंने बीते वर्षों का रिकॉर्ड साझा करते हुए बताया कि किसानों को 2020 से 2023 तक हर वर्ष 16% से 17% तक बोनस मिला, पर 2024 में यह घटकर 9.5% रह गया.
किसानों का धन रैलियों में खर्च कर रही BJP
उन्होंने सवाल उठाया कि पिछले वर्षों में किसानों को ज्यादा बोनस दिया गया, तो अब इतना कम क्यों? उनका आरोप था कि यह धन किसानों से छीनकर भाजपा अपनी चुनावी रैलियों में खर्च कर रही है. उन्होंने यह भी दावा किया कि ‘‘आप’’ नेताओं के गुजरात आने की घोषणा के बाद ही सरकार ने 17.5% बोनस देने की बात कही, जो अभी तक केवल एक झूठा एलान ही साबित हुआ है.
सरकार के विरोध में उठती आवाजें
केजरीवाल ने महापंचायत में गुजरात सरकार पर आरोप लगाया कि यह सरकार जनता की नहीं सुनती, बल्कि उसकी आवाज़ को दबाने का प्रयास करती है. जब पशुपालक अपने अधिकारों के लिए साबर डेयरी में एकत्रित हुए, तो उन पर लाठीचार्ज, आंसू गैस और गोली चलाई गई. अशोक चौधरी की मृत्यु इस हिंसा का प्रमाण है. उन्होंने सरकार से मांग की कि अशोक चौधरी के परिवार को डेयरी और राज्य सरकार दोनों की ओर से एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए.
सहकारी क्षेत्र पर भाजपा का नियंत्रण
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सहकारी क्षेत्र पर भाजपा का नियंत्रण है, और किसानों को धोखा देने के लिए फैट मापने वाली मशीनों में गड़बड़ी की जा रही है. इस प्रकार से अरबों रुपए की हेराफेरी की जा रही है.
‘‘आप’’ को बताया बदलाव का चेहरा
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुजरात अब बदलाव चाहता है. उन्होंने याद दिलाया कि 1985 में कांग्रेस को भारी बहुमत मिला था, लेकिन सत्ता के अहंकार में उसने किसानों पर गोलियां चलाईं और उसके बाद से वह सत्ता से बाहर है. उसी तरह अब भाजपा की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. उन्होंने कहा कि अब आम आदमी पार्टी गुजरात की जनता को एक मज़बूत विकल्प दे रही है और वह विपक्ष की भूमिका को ईमानदारी से निभाएगी.
केजरीवाल ने दावा किया कि कांग्रेस अब भाजपा के साथ मिली हुई है और असली विपक्ष नहीं रही. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिर्फ शादी का घोड़ा है, जबकि ‘‘आप’’ पार्टी के नेता लंबी रेस के घोड़े हैं, जो जनता के लिए अंत तक लड़ते रहेंगे.
तानाशाही और दोहरी राजनीति का पर्दाफाश
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी महापंचायत को संबोधित किया और कहा कि गुजरात सरकार ने किसानों पर आंसू गैस और गोलियां चलवा कर लोकतंत्र का अपमान किया है. उन्होंने यह भी बताया कि घटना के बाद 82 लोगों पर एफआईआर दर्ज कर दी गई ताकि वे आगे विरोध न कर सकें. भगवंत मान ने कहा कि जब विपक्ष कमजोर होता है तो सत्ताधारी दल मनमानी करता है.
कांग्रेस अब भाजपा की सहयोगी बन चुकी
उन्होंने कहा कि गुजरात में कांग्रेस अब भाजपा की सहयोगी बन चुकी है, और अब आम आदमी पार्टी ही असली विपक्ष के रूप में उभरी है. उन्होंने सहकारी समितियों में हो रही लूट का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा की असली नीयत अब जनता के सामने आ चुकी है. उन्होंने गुजरात मॉडल को खोखला बताया और कहा कि अब जनता को सच्चाई समझ आ चुकी है.
अब डरने का नहीं, लड़ने का समय
मोडासा की यह महापंचायत केवल एक राजनीतिक सभा नहीं थी, बल्कि किसानों और आम जनता की आवाज़ बनकर उभरी है. अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने स्पष्ट किया कि अब गुजरात की जनता को न्याय, सम्मान और हक की लड़ाई लड़नी होगी. ‘‘आप’’ ने खुद को इस बदलाव का चेहरा बताया और जनता से आह्वान किया कि अब डरने का नहीं, लड़ने का समय है. यह आंदोलन केवल बोनस या दूध की कीमत का नहीं, बल्कि लोकतंत्र, जवाबदेही और सम्मान का प्रतीक बन गया है.


