सिगंदूर पुल उद्घाटन पर सियासत, सिद्धारमैया ने PM मोदी को लिखा विरोध पत्र
कर्नाटक के शिवमोगा में देश के दूसरे सबसे लंबे सिगंदूर केबल पुल का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया. इस कार्यक्रम पर नाराज मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर प्रोटोकॉल के उल्लंघन और राज्य सरकार को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है.

सोमवार को कर्नाटक के शिवमोगा जिले में देश के दूसरे सबसे लंबे केबल ब्रिज, सिगंदूर पुल का उद्घाटन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने किया. यह पुल सागर तालुक में स्थित है और इसकी लंबाई लगभग 1 किलोमीटर है. इस उद्घाटन के दौरान राज्य सरकार की गैरमौजूदगी ने सबका ध्यान खींचा, क्योंकि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके मंत्रिमंडल ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का आयोजन राज्य सरकार को जानकारी दिए बिना किया गया, और बिना सहमति के निमंत्रण पत्रों में मुख्यमंत्री सहित राज्य के अन्य पदाधिकारियों के नाम शामिल किए गए. उन्होंने इसे सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ बताया और केंद्र सरकार पर एकतरफा रवैया अपनाने का आरोप लगाया.
सिद्धारमैया का बहिष्कार और मोदी को पत्र
सिद्धारमैया ने अपने पत्र में लिखा कि 14 जुलाई को शिवमोगा के सागर तालुक में आयोजित समारोह में 2000 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली 88 किलोमीटर लंबी नौ राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया. लेकिन इस आयोजन से पहले राज्य सरकार से कोई परामर्श नहीं लिया गया, जो कि प्रोटोकॉल का सीधा उल्लंघन है.
सिगंदूर पुल उद्घाटन बना विवाद का कारण
उन्होंने यह भी कहा कि जब उन्होंने 11 जुलाई को नितिन गडकरी से फोन पर बात की थी, तो इस कार्यक्रम को स्थगित करने का आग्रह किया था, जिस पर सहमति भी बनी थी. बावजूद इसके, कार्यक्रम तय समय और स्थान पर आयोजित किया गया, जिससे राज्य सरकार को दरकिनार करने का संदेश गया.
सिद्धारमैया का गडकरी पर गंभीर आरोप
मुख्यमंत्री ने निमंत्रण पत्र में नामों की प्राथमिकता को लेकर भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, विधानसभा अध्यक्ष यूटी खादर और विधान परिषद के सभापति बसवराज होरट्टी के नामों से पहले पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का नाम छापा गया, जो अनुचित है और राज्य सरकार इसका विरोध करती है.
सिद्धारमैया ने मोदी को भेजा तीखा पत्र
सिद्धारमैया ने यह भी स्पष्ट किया कि सिगंदूर पुल की योजना सबसे पहले 2013 में राज्य सरकार द्वारा बनाई गई थी. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि तकनीकी रिपोर्ट के अनुसार यह परियोजना अभी पूरी तरह से पूरी नहीं हुई है, ऐसे में उद्घाटन का आयोजन जल्दबाजी में किया गया है. यह विवाद राज्य और केंद्र सरकार के बीच संबंधों में तनाव को उजागर करता है और सहकारी संघवाद की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है.


