ईरान ने इजराइल पर जताया अविश्वास, रक्षा मंत्री बोले– जंग की तैयारी कर ली है
ईरान के रक्षा मंत्री ने इजराइल के साथ युद्धविराम पर भरोसा न जताते हुए नए संघर्ष की आशंका में कई सैन्य रणनीतियां तैयार करने की बात कही है. उन्होंने वार्ता के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई, लेकिन किसी भी आक्रमण का कड़ा और पछताने योग्य जवाब देने की चेतावनी दी है.

ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम घोषित हो चुका है, लेकिन हकीकत यह है कि संघर्ष पूरी तरह थमा नहीं है. दोनों देश अब भी खुफिया गतिविधियों और मनोवैज्ञानिक युद्ध के जरिए एक-दूसरे को निशाना बना रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा सीजफायर एक अस्थायी विराम है, जो किसी बड़ी जंग की तैयारी की जमीन तैयार कर रहा है.
इस आशंका की पुष्टि हाल ही में ईरान के रक्षा मंत्री अजीज नसीरजादेह ने भी कर दी है. उन्होंने साफ कहा है कि इस्लामी गणराज्य को युद्धविराम पर भरोसा नहीं है और वह संभावित संघर्ष के लिए पूरी तरह तैयार है. सरकारी मीडिया के अनुसार, नसीरजादेह ने तुर्की के रक्षा मंत्री यासर गुलर से फोन पर बातचीत के दौरान यह बयान दिया. उन्होंने कहा, “ईरान युद्धविराम पर भरोसा नहीं करता, इसलिए हमने नए दुस्साहस की आशंका में कई सैन्य परिदृश्य तैयार कर लिए हैं.”
ईरानी रक्षा मंत्री की चेतावनी
नसीरजादेह ने स्पष्ट किया कि ईरान क्षेत्र में युद्ध या अस्थिरता नहीं चाहता, लेकिन यदि कोई हमला करता है तो उसका जवाब इतना कड़ा होगा कि दुश्मन पछताएगा. उन्होंने इजराइल द्वारा किए गए हमलों की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया. उनका कहना था कि जब ईरान-अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता चल रही थी, उसी दौरान ईरान पर हमला किया गया. इसके बावजूद, उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान संवाद और कूटनीति के खिलाफ नहीं है.
ईरान को डर है बड़ी जंग का
13 जून को इजराइल ने अचानक ईरान पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले शुरू कर दिए थे. शुरुआती 12 दिनों तक चले संघर्ष में इजराइल ने कई परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया. इन हमलों में सैकड़ों ईरानी नागरिकों की मौत हो गई, वहीं ईरान के जवाबी हमलों में 27 इजराइली नागरिक मारे गए और कई सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा. इस तनावपूर्ण माहौल में 15 जून को मस्कत में होने वाली ईरान-अमेरिका परमाणु वार्ता भी रद्द कर दी गई.
दोनों देशों के बीच लड़ाई थमी
हालांकि दोनों देशों के बीच लड़ाई थमी हुई लगती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. सैन्य तैयारियां, तीखे बयान और टूटती वार्ताएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि पश्चिम एशिया में स्थायी शांति अभी दूर है. आने वाले दिन और भी अशांत हो सकते हैं.


