पहलगाम की पोस्टिंग, पाक का पनाहगार: CRPF जवान ने बेच डाले मुल्क के राज
NIA ने ASI मोतीराम जाट को पाकिस्तान को खुफिया जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया. वह दो साल से जानकारी लीक कर रहा था. हर अपडेट के बदले 3500 और खास इनपुट्स के लिए 12 हजार रुपये लेता था. उसका ट्रांसफर पहलगाम हमले से 5 दिन पहले हुआ था.

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 26 मई को एक चौंकाने वाली कार्रवाई करते हुए CRPF के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) मोतीराम जाट को दिल्ली से गिरफ्तार किया. उस पर गंभीर आरोप हैं कि वह पिछले दो वर्षों से पाकिस्तान के खुफिया एजेंसियों को संवेदनशील जानकारी लीक कर रहा था. जांच में सामने आया कि जाट से पाकिस्तान के एजेंट लगातार संपर्क में थे और उन्होंने खुद को एक न्यूज चैनल का पत्रकार बताकर भरोसा भी जीता.
जांच में यह भी सामने आया कि मोतीराम को हर जानकारी के बदले फिक्स अमाउंट दिया जाता था. सामान्य जानकारी के लिए 3,500 रुपये महीना तय था, जबकि गृहमंत्री अमित शाह या सीनियर अधिकारियों के दौरे जैसी खास जानकारी पर 12,000 रुपये तक दिए जाते थे. ये पैसे मोतीराम और उसकी पत्नी के बैंक खातों में भेजे जाते थे. जानकारियों के समय पर और सटीक होने पर ही पैसे मिलते थे.
पहलगाम हमले से 5 दिन पहले हुआ था ट्रांसफर
मोतीराम जाट CRPF की 116वीं बटालियन में तैनात था और पहलगाम में उसकी पोस्टिंग थी. यही वह जगह है जहां 22 अप्रैल को बड़ा आतंकी हमला हुआ था. आशंका जताई जा रही है कि इस हमले से पहले खुफिया जानकारी लीक की गई हो, क्योंकि जाट का ट्रांसफर हमले से ठीक 5 दिन पहले किया गया था. यही वजह है कि अब उसकी भूमिका की जांच उस हमले से भी जोड़ी जा रही है.
2013 से ISI के संपर्क में था जवान
सूत्रों के मुताबिक, मोतीराम को ISI ने पहले से ही निशाने पर ले रखा था. उसे धीरे-धीरे पैसों का लालच देकर जाल में फंसाया गया. पहले छोटी जानकारी ली गई और फिर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी बड़ी जानकारियां निकलवाई गईं. NIA की शुरुआती पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं. जवान के मोबाइल और डिजिटल उपकरणों की गहन जांच की जा रही है.
और कौन-कौन है इस जाल में शामिल?
NIA अब इस पूरे नेटवर्क का विस्तार से खुलासा करने में जुटी है. मोतीराम के करीबी, बैंक खातों और कॉल डिटेल्स खंगाले जा रहे हैं. एजेंसी को शक है कि इसमें सिर्फ मोतीराम ही नहीं बल्कि अन्य अधिकारी या स्थानीय एजेंट भी शामिल हो सकते हैं. यही कारण है कि अब जांच का दायरा कई राज्यों तक फैलाया जा रहा है.
जवान से पूछताछ जारी, 6 जून तक रिमांड
गिरफ्तारी के बाद मोतीराम को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 6 जून तक NIA रिमांड पर भेजा गया है. इस दौरान एजेंसी उससे और डिजिटल सबूतों की जांच कर रही है. सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह केस एक बड़ा सबक बन चुका है कि आंतरिक सुरक्षाबलों में भी जासूसी के नेटवर्क को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता.
अब NIA की नजर पहलगाम हमले पर भी
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, NIA की नजर अब उस पहलगाम हमले पर भी है, जिसमें कई जवान घायल हुए थे. अगर यह साबित हो जाता है कि मोतीराम ने ही हमले से पहले कोई जानकारी दी थी, तो यह केस राष्ट्रीय सुरक्षा में सबसे बड़ी सेंध मानी जाएगी.


