प्रधानमंत्री कार्यालय में निदेशक रितुराज को हुआ पितृ शोक, PM मोदी ने जताई संवेदना
शेखपुरा जिले के अबगिल गांव के शैलेश कुमार का 64 वर्ष की आयु में दिल्ली में निधन हो गया. लंबे समय तक शिक्षक रहे शैलेश कुमार ने युवाओं को मार्गदर्शन दिया और साहित्य में भी रुचि दिखाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके योगदान की सराहना करते हुए शोक व्यक्त किया और परिवार को सांत्वना दी.

नई दिल्ली : मूल रूप से बिहार के शेखपुरा जिले के अबगिल गांव से संबंधित शैलेश कुमार का 64 वर्ष की आयु में दिल्ली में निधन हो गया. लंबे समय से अस्वस्थ रहने वाले शैलेश कुमार का निधन उनके परिवार और समाज के लिए एक बड़ी क्षति है. वे अपने जीवनकाल में न केवल एक समर्पित शिक्षक के रूप में जाने जाते थे, बल्कि साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी उनकी गहरी रुचि रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके योगदान की सराहना करते हुए शोक व्यक्त किया और परिवार को सांत्वना दी.
शिक्षक के रूप में शैलेश कुमार का योगदान
साहित्य और संस्कृति से गहरा लगाव
शैलेश कुमार का साहित्य और संस्कृति के प्रति विशेष प्रेम था. वे हमेशा साहित्यिक गतिविधियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते और ज्ञान के आदान-प्रदान में विश्वास रखते थे. उनके परिवार और जानकार बताते हैं कि वे साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने और बच्चों को पढ़ाने के प्रति बेहद उत्साही थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्त किया शोक
शैलेश कुमार के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रितुराज और उनके बड़े भाई पीयूष को भावपूर्ण शोक संदेश भेजा. संदेश में प्रधानमंत्री ने शैलेश कुमार के शिक्षक के रूप में किए गए योगदान की सराहना की. उन्होंने शोक संतप्त परिवार और शुभचिंतकों को यह संदेश दिया कि पिता का स्नेह और आशीर्वाद जीवन की अनमोल निधि होते हैं.
परिवार और समाज में गहरा प्रभाव
शैलेश कुमार का निधन केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि उनके विद्यार्थियों और समाज के लिए भी अपूरणीय क्षति है. उनके अनुशासन, शिक्षण, और साहित्य के प्रति लगाव ने आसपास के लोगों पर स्थायी प्रभाव डाला. रितुराज और पीयूष जैसे उनके बच्चे आज भी उनके मार्गदर्शन और संस्कारों से प्रेरित हैं.
अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि
शैलेश कुमार का अंतिम संस्कार उनके परिवार और करीबी मित्रों की उपस्थिति में संपन्न हुआ. समाज और उनके पूर्व विद्यार्थियों ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की. उनकी शिक्षाओं और योगदान की याद हमेशा उनके परिवार और समाज में जीवित रहेगी.


