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चौथी मेगा अभिभावक-शिक्षक बैठक में रिकॉर्ड भागीदारी, पंजाब स्कूल शिक्षा को मिली मजबूती

पंजाब की चौथी मेगा अभिभावक–शिक्षक बैठक में रिकॉर्ड भागीदारी देखने को मिली। तेईस लाख से अधिक अभिभावकों ने शिक्षकों से संवाद किया, जिससे सरकारी स्कूल शिक्षा को मजबूत करने का सरकार का प्रयास सामने आया।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

पंजाब स्कूल शिक्षा विभाग ने पूरे राज्य में चौथी मेगा अभिभावक–शिक्षक बैठक का आयोजन किया। तेईस लाख से अधिक अभिभावक सरकारी स्कूलों तक पहुंचे। उद्देश्य स्कूल और परिवार के बीच भरोसा बढ़ाना था। अभिभावकों को खुलकर बात रखने का अवसर मिला। फोकस बच्चों के समग्र विकास पर रखा गया। अधिकारियों ने इसे पंजाब की सबसे बड़ी शिक्षा पहल बताया। बैठक का पैमाना ही इसकी अहमियत दर्शाता है।

राज्य स्तरीय कार्यक्रम की अगुवाई किसने की?

स्कूल शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने राज्य स्तरीय कार्यक्रम का नेतृत्व किया। उन्होंने श्री आनंदपुर साहिब के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल बालिकाएं में भाग लिया। मंत्री ने अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद किया। उन्होंने सरकार की शिक्षा नीति समझाई। बच्चों के विकास में साझा जिम्मेदारी पर जोर दिया। उनकी मौजूदगी से कार्यक्रम को मजबूती मिली। संदेश पूरे राज्य में गया।

अन्य नेता कहां-कहां पहुंचे?

आम आदमी पार्टी पंजाब इंचार्ज मनीष सिसोदिया होशियारपुर जिले में कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्मार्ट स्कूल पद्दी सूरा सिंह में पीटीएम में भाग लिया। अभिभावकों ने सीधे अपनी बात रखी। स्कूल सुविधाओं और पढ़ाई पर चर्चा हुई। सिसोदिया ने अभिभावक सहभागिता को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि परिवार जुड़े तो स्कूल बेहतर बनते हैं। इस दौरे से कार्यक्रम को और ध्यान मिला।

प्रशासनिक निगरानी कितनी व्यापक रही?

इस अभियान में व्यापक स्तर पर निगरानी की गई। विधायकों ने अपने क्षेत्रों के स्कूलों का दौरा किया। शिक्षा सचिव अनिंदिता मित्रा ने पूरे कार्यक्रम पर नजर रखी। एससीईआरटी निदेशक किरण शर्मा भी सक्रिय रहीं। उपायुक्तों ने स्कूलों का निरीक्षण किया। वरिष्ठ अधिकारियों ने 7500 से अधिक स्कूलों का दौरा किया। उद्देश्य था कि पीटीएम औपचारिकता न बने।

सरकार का मूल शिक्षा दृष्टिकोण क्या है?

मंत्री बैंस ने कहा कि यह पहल मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की प्राथमिकता को दर्शाती है। सरकार अभिभावकों को साझेदार बनाना चाहती है। स्कूलों को सुनने और संवाद बढ़ाने के निर्देश हैं। घर और स्कूल के बीच भरोसा जरूरी माना गया। अधिकारियों का मानना है कि सहयोग से सीखने की गुणवत्ता बढ़ती है। यही सोच मौजूदा सुधारों की दिशा तय कर रही है। इस मॉडल को आगे बढ़ाया जाएगा।

शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण क्यों दिया गया?

चालीस हजार से अधिक शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण ब्लॉक और क्लस्टर स्तर पर हुआ। हर सरकारी स्कूल से कम से कम एक शिक्षक शामिल रहा। प्रशिक्षित शिक्षक अभिभावक कार्यशालाओं का संचालन करते हैं। स्कूल प्रबंधन समिति सदस्य समन्वय में मदद करते हैं। सत्रों में पढ़ाई और भावनात्मक जरूरतों पर चर्चा होती है। लक्ष्य सार्थक संवाद बनाना था।

पीटीएम के दौरान क्या प्रक्रिया अपनाई गई?

हर मेगा पीटीएम की शुरुआत अभिभावक कार्यशाला से होती है। कार्यशाला लगभग एक से डेढ़ घंटे की रहती है। साझा डिज़ाइन के अनुसार बैठक संचालित होती है। अभिभावकों को जानकारी के लिए हैंडआउट दिए जाते हैं। बातचीत बच्चों के प्रयासों की सराहना से शुरू होती है। शिक्षक और अभिभावक खुलकर फीडबैक साझा करते हैं। सरकार को बेहतर उपस्थिति और परिणाम की उम्मीद है।

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20 December 2025, 08:59 PM IST

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