'मैं निर्दोष हूं', सावरकर मानहानि मामले में राहुल गांधी की कोर्ट में दलील, 24 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सावरकर पर टिप्पणी को लेकर दर्ज मानहानि मामले में पुणे कोर्ट में खुद को बेकसूर बताया है. ये मामला सावरकर के परपोते द्वारा दर्ज कराया गया था, जिसकी अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी.

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने स्वतंत्रता सेनानी और हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर पर की गई अपनी टिप्पणी को लेकर दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में खुद को निर्दोष बताया है. शुक्रवार को पुणे की एक अदालत में उनके वकील मिलिंद पवार ने राहुल गांधी की ओर से ये दलील पेश की, क्योंकि वे खुद सुनवाई में मौजूद नहीं थे.
ये मामला विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अमोल श्रीराम शिंदे की अदालत में सुना गया, जहां राहुल गांधी पर आरोपों को औपचारिक रूप से पढ़ा गया. इसके जवाब में उनके वकील ने 'नॉट गिल्टी' यानी 'बेकसूर' होने की दलील दी.
क्या है पूरा मामला?
ये पूरा मामला राहुल गांधी के उस बयान से जुड़ा है जो उन्होंने लंदन के एक कार्यक्रम में दिया था. वहां उन्होंने विनायक सावरकर के बारे में कहा था- उन्होंने (सावरकर और उनके साथियों ने) एक मुसलमान को पीटा और खुश हुए. अगर 5 लोग एक को पीटते हैं और इसमें खुशी मिलती है, तो ये कायरता है. सावरकरजी के साथ 15 लोग एक व्यक्ति को मार रहे थे, ये भी उनकी विचारधारा का हिस्सा है. राहुल गांधी के इस बयान को लेकर तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं. उनके इस बयान को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सावरकर का अपमान बताया गया था.
सावरकर के परपोते ने किया मामला दर्ज
ये केस सावरकर के परपोते सत्यकी सावरकर ने दर्ज कराया है. उनके वकील संग्राम कोल्हटकर ने बताया कि कोर्ट में राहुल गांधी की ओर से दलील दर्ज हो गई है और अब ट्रायल की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई के लिए तय की है.
कोर्ट की सख्ती और राहुल गांधी को चेतावनी
गौरतलब है कि राहुल गांधी की ऐतिहासिक व्यक्तित्वों पर टिप्पणियों को लेकर पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने उन्हें सार्वजनिक मंचों पर बयानबाजी के लिए सचेत भी किया था. ये मामला सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी काफी संवेदनशील बन गया है. जहां बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठन राहुल गांधी पर इतिहास के अपमान का आरोप लगा रहे हैं, वहीं कांग्रेस इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़ रही है.


