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BJP अध्यक्ष की रेस में टकराव, RSS चाहता है नया चेहरा, पार्टी चाहती है करीबी

भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस वक्त नेतृत्व परिवर्तन के निर्णायक मोड़ पर खड़ी है. पार्टी में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर मंथन तेज है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भाजपा नेतृत्व के बीच सहमति बनती नहीं दिख रही. कई दौर की चर्चाओं के बावजूद अब तक कोई नाम फाइनल नहीं हो पाया है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

भारतीय जनता पार्टी (BJP) में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. पार्टी नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच इस मसले पर सहमति नहीं बन पा रही है. इस मुद्दे पर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक किसी नाम पर अंतिम मुहर नहीं लग सकी है.

सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव के नाम अध्यक्ष पद के लिए संघ को भेजे गए थे, लेकिन संघ ने इन नामों पर सहमति नहीं दी. संघ का मानना है कि पार्टी को भविष्य के लिए तैयार करने हेतु एक ऐसा चेहरा जरूरी है जो केवल ‘रबर स्टांप’ न होकर संगठनात्मक रूप से भी मज़बूत हो.

अध्यक्ष पद पर क्यों नहीं बन रही सहमति?

भाजपा नेतृत्व ने अध्यक्ष पद के लिए जिन नामों की सिफारिश की है, उनमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव शामिल हैं. दोनों ही नेताओं को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माना जाता है. हालांकि, संघ इन नामों से संतुष्ट नहीं है.

RSS का मानना है कि भाजपा को 2029 के बाद के दौर के लिए अभी से तैयार करना चाहिए. इसके लिए नेतृत्व में ऐसी नई पीढ़ी लानी होगी जो न केवल संगठन को मजबूती दे, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद पार्टी का नेतृत्व संभालने में भी सक्षम हो.

आरएसएस की मंशा: नया चेहरा, नई पीढ़ी

RSS सूत्रों के अनुसार, संघ चाहता है कि भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष वह हो जिसे जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त हो. वह केवल शीर्ष नेतृत्व के प्रति वफादार न हो, बल्कि कार्यकर्ताओं से जुड़ाव भी रखता हो.

एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, “RSS और भाजपा के नेतृत्व के बीच अब तक तीन बार बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन किसी भी नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन सकी है. आगे और चर्चा की जाएगी.”

महिला अध्यक्ष की संभावना भी चर्चा में

खबर यह भी है कि भाजपा इतिहास में पहली बार किसी महिला नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे सकती है. इस रेस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम चर्चा में है. इसके अलावा मनोहर लाल खट्टर और शिवराज सिंह चौहान के नाम भी संभावित उम्मीदवारों की सूची में हैं.

उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पद भी बना चुनौती

केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर गतिरोध बना हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी है. यह पद इसलिए भी अहम है क्योंकि 2027 विधानसभा चुनावों की तैयारियों के लिए नेतृत्व स्पष्ट होना जरूरी है.

भाजपा के लिए अहम मोड़

भाजपा के लिए यह वक्त निर्णायक है. संगठन को न केवल 2024 के बाद की राजनीति के लिए तैयार करना है, बल्कि राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन भी जरूरी हो गया है. राष्ट्रीय और प्रादेशिक दोनों स्तरों पर नेतृत्व को लेकर मंथन जारी है, और जल्द ही कोई बड़ा फैसला सामने आ सकता है.

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17 July 2025, 12:49 PM IST

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