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'जो मकान गिराया गया, वो सत्यजीत रे का नहीं था', बांग्लादेश के अधिकारी ने किया साफ

बांग्लादेश के मेमेन्सिंह जिले में हाल ही में ध्वस्त की गई इमारत को लेकर यह दावा किया जा रहा था कि वह फिल्मकार सत्यजीत रे का पैतृक घर है. हालांकि, जिला प्रशासन ने अब साफ कर दिया है कि उसका रे परिवार से कोई संबंध नहीं है. यह एक बड़ी गलतफहमी का नतीजा है.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Satyajit Ray Bangladesh House: बांग्लादेश में हाल ही में जिस पुरानी इमारत को गिराया गया, उसे लेकर सोशल मीडिया और समाचार रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा था कि वह महान फिल्मकार सत्यजीत रे के पूर्वजों का पैतृक निवास था. हालांकि, अब मेमेन्सिंह जिला प्रशासन ने इस भ्रम को सिरे से खारिज कर दिया है.

बांग्लादेश के मेमेन्सिंह जिले के डिप्टी कमिश्नर मोफिदुल आलम ने बुधवार को स्पष्ट रूप से कहा कि गिराया गया भवन सत्यजीत रे के परिवार से जुड़ा नहीं है. उन्होंने बताया कि सरकारी अभिलेखों की गहन जांच और स्थानीय बुजुर्गों से बातचीत के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है कि उक्त संपत्ति का सत्यजीत रे के पूर्वजों से कोई संबंध नहीं है.

सरकारी रिकॉर्ड में रे परिवार का उल्लेख नहीं

डिप्टी कमिश्नर मोफिदुल आलम ने मीडिया से कहा, "हमने बुधवार को एक बैठक में सरकारी रिकॉर्ड की जांच की. स्थानीय बुजुर्गों से बातचीत की और ऐतिहासिक दस्तावेजों को खंगाला. जो इमारत गिराई जा रही थी, वह पहले 'मेमेन्सिंह चिल्ड्रन अकैडमी' का कार्यालय हुआ करती थी. कोई भी दस्तावेज इस बात की पुष्टि नहीं करता कि उसका रे परिवार से कोई संबंध है."

सत्यजीत रे का घर अभी भी सुरक्षित

प्रशासन ने आगे स्पष्ट किया कि सत्यजीत रे का पैतृक घर, जिसे स्थानीय स्तर पर 'Durlov House' के नाम से जाना जाता है, अभी भी सुरक्षित है और उसमें कोई तोड़फोड़ नहीं की गई है. आलम ने कहा, "हमने यह सुनिश्चित किया है कि रे परिवार की असली संपत्ति अब भी सुरक्षित है. वर्तमान मालिक से बात की गई, जिन्होंने पुष्टि की कि उन्होंने यह संपत्ति सीधे रे परिवार से खरीदी थी और उनके पास वैध दस्तावेज भी हैं. जो इमारत गिराई जा रही थी, वह उसके बगल की थी जिसे गलतफहमी में रे का पैतृक घर समझा गया."

कैसे हुई विवाद की शुरुआत?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने दावा किया कि यह इमारत सत्यजीत रे के दादा उपेंद्र किशोर रे चौधरी द्वारा बनवाई गई थी. उपेंद्र किशोर एक प्रतिष्ठित लेखक और प्रकाशक थे. जिस इमारत को गिराया गया, वह कभी मेमेन्सिंह शिशु अकैडमी के रूप में इस्तेमाल होती थी, लेकिन पिछले दस वर्षों से यह खाली पड़ी थी. जिला बाल मामलों के अधिकारी मोहम्मद मेहदी जमान ने बताया, "यह भवन पिछले 10 वर्षों से खाली था. शिशु अकैडमी की गतिविधियां अब किराए के भवन से संचालित हो रही हैं."

प्रशासन ने बताया गलतफहमी

अधिकारियों ने इस पूरे घटनाक्रम को एक गलतफहमी बताया और आश्वासन दिया कि सत्यजीत रे की विरासत से जुड़ी संपत्ति को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया गया है. प्रशासन ने अपील की है कि बिना पुष्टि के ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर भ्रम न फैलाया जाए.

सत्यजीत रे विश्व सिनेमा के एक प्रतिष्ठित स्तंभ माने जाते हैं. उन्हें भारत रत्न और ऑस्कर जैसे सम्मान प्राप्त हुए हैं. उनका पारिवारिक योगदान साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में आज भी बंगाल और देशभर में श्रद्धा से याद किया जाता है.

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17 July 2025, 12:11 PM IST

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