वायनाड लैंडस्लाइड में लाशों की तलाश जारी, अब तक 300 लोगों के मरने की हुई पुष्टि
वायनाड में लैंडस्लाइड जैसी भयानक घटना घटित हुई है. मगर इस बार के लैंडस्लाइड ने बहुत दर्दनाक रूप ले लिया है. ये अब तक का सबसे बड़ा भूस्खलन माना जा रहा है. साल 2019 को वायनाड के पुथुमाला इलाके में भूस्खलन देखा गया था, जिसमें कुल 17 लोगों की मौत की खबर मिली थी. दरअसल वायनाड मिट्टी, पत्थर के साथ ऊपर उगे पेड़-पौधों और टीलों वाला क्षेत्र है.

केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड ने अपना कहर बरसा रखा है. बता दें कि लैंडस्लाइड की घटना बीते 29 जुलाई की रात 3 बजे के बाद यानी 31 जुलाई को घटित हुई थी. लैंडस्टाइड की तबाही ने मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा जैसे गांवों को अपना शिकार बनाया है. जिससे ये तमाम गांवों का कुछ अता पता ही नहीं चला. तबाही का मंजर ऐसा था कि सड़कें, पुल, गाड़ियां सब अपने साथ बहा ले गईं. जिससे सैकड़ों लोगों की जान चली गई. वहीं वर्तमान समय में मौत को लेकर कई तरह की अपडेट दी जा रही है. मगर अब तक 300 लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है.
मंजर ऐसा की कांप जाए रूह
इस दर्दनाक घटना के कारण सैकड़ों लोग घायल हो गए, जिन्हें अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है. जबकि सैकड़ों लोग गायब हैं, हादसे वाले स्थान पर ध्वस्त मकान, उफान मारती नदी, कीचड़ के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है. राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है. इस हालात में सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर वायनाड में लैंडस्लाइड की ये घटना कैसे घटित हुई है? तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
लैंडस्लाइड किसे कहते हैं?
लैंडस्लाइड कई वजहों से हो सकते हैं, जैसे बारिश, भूकंप, बर्फ का पिघलना, ज्वालामुखी, अधिक मात्रा में जंगलों की कटाई इत्यादि. हालांकि अगर भारत की बात की जाए तो यहां वर्षा की वजह से लैंडस्लाइड देखे जाते हैं. क्योंकि ढलान की ऊपरी सतह नीचे वाली सतह पर टिकी रहती है और बारिश से ऊपरी सतह पर पानी जमा होता है, जिससे वो भारी हो जाती है. इस हालात में बारिश का पानी इन सतहों के बीच के घर्षण को कम करता है. इतना ही नहीं ग्रेविटी अपनी ताकत से फ्रिक्शन पर हावी होकर उसे नीचे की तरफ खींच लेता है.
वायनाड में मची तबाही की वजह
बता दें कि वायनाड का पठार वेस्टर्न घाट में 700- 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसी वजह से मानसून की अरब सागर वाली ब्रांच देश के वेस्टर्न घाट से टकरा जाती है. जिसकी वजह से इस इलाके में मानसून के कारण अधिक बारिश होती है. कहा जाता है कि लैंडस्लाइड से एक दिन पहले ये इलाका वर्षा से जूझ रहा था. वहीं 30 जुलाई को यहां बहुत भारी बारिश हुई, मौसम विभाग का कहना है कि एक दिन में ही पूरे एक साल की वर्षा हो गई थी.
जिसकी वजह से बारिश को यहां की मिट्टी सोख नहीं पाई और भूस्खलन जैसी घटना घटित हो गई. बल्कि वायनाड में काबिनी नदी उपस्थित है, जिससे यहां कि सहायक नदी मनंतावडी 'थोंडारमुडी' चोटी से निकलती है. लैंडस्लाइड की वजह से इसी नदी में बाढ़ आ गई और तबाही का मंजर देखने को मिला.