थरूर ने MEA की तारीफ कर कांग्रेस की लाइन तोड़ी, क्या विपक्ष में राष्ट्र पहले और राजनीति बाद की पनप रही है सोच
कांग्रेस सांसद शशि थरूर की विदेश मंत्रालय की खुली तारीफ ने एक बड़ा सियासी सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विपक्ष के भीतर अब राष्ट्र और राजनीति के बीच नई रेखा खिंच रही है।

New Delhi: शशि थरूर का विदेश मंत्रालय की सराहना करना एक सामान्य बयान नहीं माना जा सकता क्योंकि यह ऐसे वक्त में आया है जब कांग्रेस नेतृत्व आमतौर पर मोदी सरकार और उसके मंत्रियों पर तीखे हमले करता रहा है। थरूर ने खुले मंच से मंत्रालय और विदेश मंत्री की भूमिका को सराहा। यह कदम पार्टी की रोजमर्रा की सियासत से अलग दिखाई देता है। यही कारण है कि इस बयान को सिर्फ व्यक्तिगत राय कहकर नजरअंदाज करना मुश्किल हो जाता है।
क्या कांग्रेस में दो धाराएं साफ दिखने लगी हैं?
थरूर का बयान संकेत देता है कि कांग्रेस के भीतर एक ऐसा वर्ग मौजूद है जो विदेश नीति और कूटनीति जैसे मुद्दों पर टकराव के बजाय सहमति की सोच रखता है। यह धारा मानती है कि राष्ट्रीय हित को दलगत राजनीति से ऊपर रखना चाहिए। इसके उलट पार्टी का दूसरा वर्ग सरकार की हर नीति का विरोध करना जरूरी मानता है। यही अंतर अब सार्वजनिक होता दिख रहा है।
बीजेपी के नैरेटिव को क्यों मिल रही स्वीकृति?
बीजेपी लंबे समय से राष्ट्र, विरासत और वैश्विक छवि को अपनी राजनीति का आधार बनाती रही है। थरूर की टिप्पणी यह दिखाती है कि यह सोच अब विपक्ष के भीतर भी जगह बना रही है। जब विपक्ष का वरिष्ठ नेता सरकार की उपलब्धि को स्वीकार करता है, तो वह अनजाने में उसी नैरेटिव को मजबूती देता है। यही बात सत्तापक्ष के लिए राजनीतिक बढ़त बन सकती है।
विदेश नीति पर टकराव या सहमति?
अब सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस भविष्य में विदेश नीति जैसे मुद्दों पर आक्रामक विरोध की रणनीति बदलेगी। विदेश नीति ऐसा क्षेत्र माना जाता है जहां स्थिरता और निरंतरता जरूरी होती है। थरूर जैसे नेता इस सोच को आगे बढ़ाते दिखते हैं। अगर यह लाइन मजबूत होती है, तो कांग्रेस की रणनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
पार्टी लाइन से अलग थरूर की पहचान?
शशि थरूर लंबे समय से अपनी स्वतंत्र राय के लिए जाने जाते हैं। कई मौकों पर उनके बयान पार्टी की आधिकारिक लाइन से अलग नजर आए हैं। यह बयान भी उसी कड़ी का हिस्सा माना जा सकता है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या थरूर कांग्रेस के भीतर एक अलग राष्ट्रीय विमर्श गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह विमर्श विपक्ष की पारंपरिक राजनीति से अलग दिखाई देता है।
कांग्रेस नेतृत्व के लिए असहज स्थिति?
इस तरह की तारीफ कांग्रेस नेतृत्व के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकती है। एक तरफ सरकार पर हमले की रणनीति है, दूसरी तरफ पार्टी का ही नेता सरकार के काम को सराह रहा है। इससे संदेश जाता है कि पार्टी के भीतर एकमत नहीं है। राजनीतिक तौर पर यह स्थिति विपक्ष की धार को कमजोर भी कर सकती है।
आगे की सियासत किस दिशा में जाएगी?
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि यह बयान सिर्फ मंत्रालय की तारीफ तक सीमित नहीं है। यह कांग्रेस की वैचारिक दिशा और भविष्य की राजनीति पर सवाल खड़ा करता है। अगर ऐसे बयान बढ़ते हैं, तो विपक्ष की राजनीति में राष्ट्र बनाम विपक्ष की नई लकीर साफ दिख सकती है। असल सियासत यहीं से शुरू होती है, जहां विरोध की राजनीति को भी अपने तरीके बदलने पड़ सकते हैं।


