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'पाकिस्तान को पानी हमने उदारता से दिया, लेकिन...', शशि थरूर ने सिंधु जल संधि पर दोहराया भारत का रुख

Shashi Tharoor on Indus Waters Treaty: कोलंबिया में मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारत ने सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को सद्भावना में पानी दिया, लेकिन अब वह समय बीत चुका है. आतंकवाद के लगातार खतरे के बीच भारत ने संधि को निलंबित कर दिया है और अब वह केवल विश्वास की बहाली पर ही आगे बढ़ेगा.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Shashi Tharoor on Indus Waters Treaty: भारत के हालिया आतंकवाद विरोधी अभियान ऑपरेशन सिंदूर के वैश्विक असर को स्पष्ट करने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कोलंबिया पहुंचा. इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर रहे हैं. इसका उद्देश्य पाकिस्तान के साथ निलंबित सिंधु जल संधि पर भारत का रुख मजबूती से रखना भी है. थरूर ने इस मौके पर मीडिया को संबोधित करते हुए भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति और जल संधि के भविष्य को लेकर अहम बयान दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से लगातार हो रहे सीमा पार आतंकवाद और भारत की सहनशीलता की सीमा अब समाप्त हो चुकी है. भारत ने सद्भावना के आधार पर जल साझा किया, लेकिन अब यह नीति समाप्त हो रही है.

थरूर ने इंडस जल संधि पर भारत के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा, "इंडस जल संधि भारत ने 1960 के दशक में पाकिस्तान को सद्भावना और सौहार्द्र की भावना से दी थी. दरअसल, संधि की भूमिका में भी ये शब्द उल्लेखित हैं. लेकिन बीते चार दशकों से पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद ने बार-बार इस सद्भावना को ठुकराया है."

सद्भावना के आधार पर कार्य करने का समय खत्म

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आगे कहा, "हालांकि भारत पर आतंकवाद और युद्ध थोपा गया, फिर भी संधि लागू रही. लेकिन अब हमारी सरकार ने इसे निलंबित कर दिया है, यानी इसकी क्रियान्वयन प्रक्रिया रोक दी गई है, जब तक हमें पाकिस्तान से यह भरोसा नहीं मिलता कि वे सद्भावना के उस माहौल में कार्य करने को तैयार हैं जो इस संधि के मूल में है."

थरूर ने भारत के संयम का उल्लेख करते हुए कहा, "हम यह अच्छी तरह जानते हैं कि हमने जल संधि के संचालन में एक उदार पड़ोसी की भूमिका निभाई है. हम ऊपरी धारा वाला देश हैं. हमने पाकिस्तान को संधि के तहत मिलने वाले जल को भरपूर दिया है, यहां तक कि हमने वह जल भी इस्तेमाल नहीं किया, जिसका हमें अधिकार था. लेकिन अब केवल सद्भावना के आधार पर कार्य करने का समय खत्म हो गया है."

कोलंबिया की प्रतिक्रिया से भारत निराश

कोलंबिया द्वारा भारत की सैन्य कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में हुई मौतों पर संवेदना जताने पर थरूर ने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा, "हमें कोलंबिया सरकार की प्रतिक्रिया से कुछ निराशा हुई, जिसने भारत की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में हुई मौतों पर दिल से संवेदना जताई, लेकिन आतंकवाद के शिकार लोगों के प्रति सहानुभूति नहीं दिखाई."

थरूर ने सख्त लहजे में कहा, "हम अपने कोलंबियाई मित्रों से कहेंगे कि आतंक फैलाने वालों और उनसे लड़ने वालों में कोई समानता नहीं हो सकती. हमला करने वालों और रक्षा करने वालों में फर्क होता है. हम केवल आत्मरक्षा का अधिकार प्रयोग कर रहे हैं. अगर इस मूल सिद्धांत को लेकर कोई गलतफहमी है तो हम उसे दूर करने के लिए यहां हैं. हमारे पास ठोस सबूत हैं."

उन्होंने यह भी जोड़ा, "जब यह आतंकी हमला हुआ, तो एक संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने इसकी जिम्मेदारी ली, जो पाकिस्तान के मुरिदके स्थित लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा है. जैसे कोलंबिया ने भी वर्षों तक आतंक का सामना किया है, वैसे ही भारत ने चार दशकों से आतंकवाद झेला है."

22 अप्रैल को भारत पर हुआ हमला

थरूर ने उस हमले का उल्लेख किया जिसने भारत की सैन्य प्रतिक्रिया को जन्म दिया. उन्होंने कहा, "22 अप्रैल को भारत में एक भयंकर आतंकी हमला हुआ. जब यह हुआ, तो दुनिया ने इसकी निंदा तो की, लेकिन इससे आगे कुछ नहीं हुआ. पाकिस्तान, जहां से ये आतंकवादी आए थे, ने कोई गिरफ्तारी नहीं की, कोई अभियोजन नहीं हुआ. भारत ने तय किया कि अब इस तरह के अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. इसलिए 7 मई को भारत ने ज्ञात आतंकी ठिकानों और लॉन्च पैड्स पर कार्रवाई की."

अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के दौरे पर 7 दलों का प्रतिनिधिमंडल 

शशि थरूर की अगुवाई में यह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के कई देशों का दौरा कर रहा है ताकि भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को वैश्विक मंच पर मजबूती से रखा जा सके और पाकिस्तान के दुष्प्रचार का जवाब दिया जा सके.

इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, बीजेपी, शिवसेना, झामुमो, टीडीपी, लोजपा सहित अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरणजीत सिंह संधू शामिल हैं. दौरे की शुरुआत न्यूयॉर्क स्थित 9/11 मेमोरियल से हुई यह आतंकवाद के वैश्विक पीड़ितों की याद में एक प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि थी.

प्रतिनिधिमंडल को सात समूहों में बाँटा गया है, जिसमें प्रत्येक का नेतृत्व एक सांसद कर रहा है. ये समूह विभिन्न देशों में सरकारों, थिंक टैंक्स और मीडिया से संवाद कर रहे हैं.

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30 May 2025, 10:27 AM IST

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