पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और राज्यपाल रहे शिवराज पाटिल का 90 वर्ष की आयु निधन, केंद्र में संभाला था गृह मंत्रालय
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का 90 वर्ष की आयु में लातूर में निधन हो गया. उन्होंने केंद्रीय मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यपाल जैसे पद संभाले. उनके निधन से राजनीति में शोक और सम्मान की लहर दौड़ी.

मुंबई: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार सुबह उनके गृह नगर लातूर, महाराष्ट्र में निधन हो गया. वे 90 वर्ष के थे और उनका निधन बीमारी के बाद उनके आवास 'देवघर' में हुआ.
परिवार में कौन-कौन?
पाटिल के परिवार में उनके बेटे शैलेश पाटिल, बहू अर्चना पाटिल और दो पोतियां शामिल हैं. परिवार ने बताया कि पाटिल के निधन से घर और राजनीतिक circles में शोक की लहर दौड़ गई है.
शिवराज पाटिल की राजनीतिक यात्रा
शिवराज पाटिल का राजनीतिक करियर बेहद प्रभावशाली और लंबा रहा. उन्होंने 12 अक्टूबर 1935 को जन्म लिया और अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत लातूर नगर परिषद प्रमुख के रूप में की. 1970 के दशक की शुरुआत में वे विधायक बने. इसके बाद उन्होंने लातूर लोकसभा सीट से सात बार चुनाव जीतकर संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
उन्होंने 1991 से 1996 तक लोकसभा के 10वें अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और 2004 से 2008 तक केंद्रीय गृह मंत्री रहे. इसके अतिरिक्त, पाटिल पंजाब के राज्यपाल भी रहे और 2010 से 2015 तक चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक के रूप में सेवा दी. 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के रूपताई पाटिल निलंगेकर से हार का सामना करना पड़ा था.
राजनीतिक और व्यक्तिगत छवि
कांग्रेस पार्टी के नेताओं के अनुसार, शिवराज पाटिल अपने गरिमापूर्ण आचरण और शांत स्वभाव के लिए जाने जाते थे. वे सार्वजनिक भाषणों या निजी बातचीत में कभी भी व्यक्तिगत हमलों का सहारा नहीं लेते थे. उनके ज्ञान और विवेक ने उन्हें राजनीतिक स्थिरता और सम्मान दिलाया.
पाटिल को उनकी व्यापक विद्वत्ता, गहन अध्ययन और प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए भी याद किया जाता था. वे मराठी, अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं पर अच्छी पकड़ रखते थे और संवैधानिक मामलों की उनकी समझ असाधारण थी. यही कारण है कि उन्हें अपने समय के सबसे सम्मानित सांसदों में गिना जाता था.
शोक और श्रद्धांजलि
पाटिल के निधन पर कांग्रेस और अन्य राजनीतिक पार्टियों ने शोक व्यक्त किया. उनकी राजनीतिक दूरदर्शिता और संवेदनशील नेतृत्व को हमेशा याद किया जाएगा. कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें राजनीति में गरिमा और नैतिकता के प्रतीक के रूप में याद किया.
शिवराज पाटिल की मृत्यु ने भारतीय राजनीति के एक ऐसे वरिष्ठ और आदर्श नेता को खो दिया है, जिन्होंने अपनी सादगी, नैतिकता और संवैधानिक ज्ञान से न केवल अपने सहयोगियों बल्कि जनता के बीच भी गहरी छाप छोड़ी.


