इज़राइल के हमले पर भड़कीं सोनिया गांधी, बोलीं- ईरान भारत का पुराना दोस्त
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मिडिल ईस्ट में जारी तनाव पर चिंता जताते हुए कहा कि ईरान भारत का पुराना मित्र है. उन्होंने इजराइल द्वारा हमास और ईरान पर किए गए हमलों की निंदा की और सरकार से अपील की कि वह संवाद का पुल बने और तनाव खत्म करने की कोशिश करे.

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव पर चिंता जताते हुए एक लेख लिखा है, जिसका शीर्षक है: “भारत की आवाज़ को सुनने के लिए अभी भी बहुत देर नहीं हुई है.” इस लेख में उन्होंने न केवल ईरान पर इजराइल के हमले की आलोचना की है, बल्कि भारत सरकार के मौन रुख पर भी गहरी नाराज़गी जताई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस लेख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया है.
सोनिया गांधी ने लेख में लिखा कि ईरान भारत का ऐतिहासिक और भरोसेमंद मित्र रहा है. उन्होंने 1994 की संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में ईरान की भूमिका को याद करते हुए बताया कि जब भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया था, तब ईरान ने भारत का समर्थन कर उस प्रस्ताव को रुकवाने में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा कि इस्लामी रिपब्लिक ऑफ ईरान ने भारत के साथ मजबूत रिश्ते बनाए रखे हैं, जबकि पुराने शाही शासन ने 1965 और 1971 के युद्धों में पाकिस्तान का साथ दिया था.
भारत-इजराइल रिश्ते का भी किया ज़िक्र
सोनिया गांधी ने यह भी स्वीकार किया कि भारत और इजराइल के बीच संबंध हाल के वर्षों में मज़बूत हुए हैं. उन्होंने इस परिस्थिति को भारत के लिए एक अनूठा अवसर बताते हुए कहा कि भारत के पास शांति और संवाद का पुल बनने की नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि यह केवल कूटनीति नहीं बल्कि पश्चिम एशिया में रहने वाले लाखों भारतीयों की सुरक्षा का भी सवाल है.
हमास की निंदा, इजराइल की कार्रवाई को बताया भयावह
उन्होंने 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजराइल पर किए गए हमले की कड़ी निंदा की, लेकिन इजराइल की जवाबी कार्रवाई को “असंगत और भयावह” बताते हुए कहा कि गाजा में 55,000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की जान जा चुकी है, जिसमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं. अस्पताल, घर और बुनियादी ढांचे नष्ट हो चुके हैं और गाजा अकाल के कगार पर पहुंच चुका है.
मोदी सरकार पर तीखा हमला
लेख में सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सरकार ने भारत की पारंपरिक विदेश नीति से पीछे हटने का काम किया है, जो दो राष्ट्रों के समाधान को समर्थन देती थी—एक ऐसा स्वतंत्र फिलिस्तीन, जो इजराइल के साथ सम्मानपूर्वक रह सके. उन्होंने मोदी सरकार की चुप्पी को भारत के नैतिक मूल्यों का आत्मसमर्पण करार दिया.
लेख का निष्कर्ष: अब भी देर नहीं हुई
अपने लेख के अंत में सोनिया गांधी ने कहा कि भारत को अब भी स्पष्ट और साहसिक रुख अपनाना चाहिए. उसे पश्चिम एशिया के देशों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करना चाहिए और तनाव को कम करने में भूमिका निभानी चाहिए. उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत की आवाज़ की दुनिया को ज़रूरत है और यह वक्त है जब भारत अपनी परंपरा के अनुरूप शांति का पक्ष ले.


