आईएसआई की चालबाज़ी का पर्दाफाश: विदेशी महिलाओं को हथियार बनाकर भारत में जासूसी और देशद्रोह की साज़िश
हरियाणा की सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने आईएसआई की अंतरराष्ट्रीय जासूसी साजिश उजागर कर दी. विदेशी महिलाओं का उपयोग कर पाकिस्तान अपनी छवि सुधारने और भारत में अस्थिरता फैलाने की योजना बना रहा है.

नई दिल्ली : हरियाणा की सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने एक खतरनाक अंतरराष्ट्रीय साजिश की परतें खोल दी हैं. भारत की जांच एजेंसियों के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई न सिर्फ देश में अस्थिरता फैलाने के लिए जासूसी नेटवर्क चला रही है, बल्कि अब सोशल मीडिया की ताकत का इस्तेमाल कर दुनिया के सामने पाकिस्तान की झूठी छवि पेश करने की साजिश रच रही है. इस साजिश में निशाने पर हैं- दुनियाभर की प्रभावशाली महिलाएं. ये महिलाएं सोशल मीडिया पर अपने 'स्वतंत्र अनुभवों' के नाम पर पाकिस्तान की छवि चमकाने की कोशिश कर रही हैं. जबकि हकीकत यह है कि यह सब ISI की रणनीति के तहत 'सुनियोजित ऑपरेशन' का हिस्सा है.
जासूसी के आरोप में अब तक 10 से अधिक गिरफ्तारियां
ज्योति मल्होत्रा के मामले से पहले भारत की खुफिया एजेंसियां सतर्क थीं. हाल ही में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से जासूसी के आरोप में 10 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. इनमें कई महिलाएं शामिल हैं - जिनमें सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर्स, विधवाएं और ग़रीब महिलाएं शामिल हैं - जिन्हें ISI ने बहला-फुसलाकर अपने जाल में फंसाया.
महिला व्लॉगर्स को बनाया जा रहा है वैश्विक संपर्क साधन
जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसआई एक खास रणनीति के तहत अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और स्कॉटलैंड की महिला कंटेंट क्रिएटर्स को निशाना बना रही है. इन महिलाओं को पाकिस्तान बुलाया जाता है, जहां उन्हें खास सुविधाएं और गाइड मुहैया कराए जाते हैं. इसके बाद ये व्लॉगर पाकिस्तान के गांवों, स्कूलों, बाजारों और पर्यटन स्थलों पर वीडियो बनाते हैं, जिसमें पाकिस्तान को एक शांत, सुरक्षित और मेहमाननवाज़ देश के रूप में पेश किया जाता है. जबकि ये सभी टूर न तो स्वतंत्र हैं और न ही खुद से फंडेड हैं. इनमें स्थानीय गाइड और पुलिस एस्कॉर्ट्स शामिल होते हैं, जिससे पता चलता है कि सब कुछ सरकार और आईएसआई की निगरानी में है.
शमोजाई मैंगोज़: यूट्यूब चैनल या आईएसआई मुखौटा?
ब्रिटेन की रेबका द्वारा संचालित यूट्यूब चैनल 'शामोज़ाई मैंगोज़' इस साजिश का सबसे बड़ा उदाहरण है. इस चैनल पर अब तक 39 वीडियो अपलोड किए जा चुके हैं, जिनमें से 23 सिर्फ़ पाकिस्तान पर केंद्रित हैं. इन वीडियो में खुद रेबका कहती हैं, "मुझे बताया गया कि पाकिस्तान ख़तरनाक है, लेकिन मैं यहां आकर खुद देखना चाहती थी. मुझे डर नहीं लगता." इस चैनल पर पाकिस्तानी पुलिस अधिकारियों के साथ शूट किए गए वीडियो भी उपलब्ध हैं, जिसमें यह दिखाने की कोशिश की गई है कि पाकिस्तान महिलाओं के लिए पूरी तरह सुरक्षित है. एक वीडियो में स्थानीय हैंडलर खुद कबूल करते हैं कि चैनल इसलिए बनाया गया था ताकि रेबका को पाकिस्तान बुलाया जा सके और वह दुनिया को "पाकिस्तान की सच्चाई" बता सके.
फ्लोरा गोनिन: नीदरलैंड से दूसरी 'ब्रांड एंबेसडर'
इसी तरह नीदरलैंड की रहने वाली फ्लोरा गोनिन नामक एक व्लॉगर भी आईएसआई की इस रणनीति का हिस्सा लगती है. दो साल पहले शुरू किए गए उनके यूट्यूब चैनल पर 40 में से 22 वीडियो पाकिस्तान को समर्पित हैं. एक वीडियो में वे बहावलपुर के उस इलाके में शूटिंग करती नजर आ रही हैं, जहां विदेशी पर्यटकों का आना प्रतिबंधित है. दिलचस्प बात यह है कि उनके साथ पाकिस्तानी पुलिस का एस्कॉर्ट भी मौजूद है. आईएसआई के इस देसी ऑपरेशन में शामिल लोगों की सूची लंबी है. ऑस्ट्रेलिया की इरिना यामिन्स्का, अमेरिका की वैली बी और स्कॉटलैंड के शैनन और एलन जैसे नाम आईएसआई की 'पाकिस्तान-प्रशंसा' में शामिल पाए गए हैं. उनके वीडियो में बस एक ही बात कॉमन है- पाकिस्तान की तारीफ, सुरक्षा का दावा और मेहमाननवाजी की वाहवाही.
आईएसआई ने महिलाओं को क्यों चुना?
आईएसआई की यह रणनीति सामाजिक मनोविज्ञान पर आधारित है. आमतौर पर महिलाओं की आवाज़ को ज़्यादा विश्वसनीय, निष्पक्ष और सहानुभूतिपूर्ण माना जाता है. यही वजह है कि आईएसआई उन्हें अपना टूल बनाकर इस्तेमाल कर रही है ताकि उनकी बातें ज़्यादा लोगों तक पहुंचें और ज़्यादा प्रभावी दिखें. हकीकत यह है कि ये वीडियो स्क्रिप्टेड होते हैं और पाकिस्तान की असली स्थिति को छिपाने के लिए एक मुखौटा होता है.
झूठी छवि बनाने का आखिरी सहारा: सोशल मीडिया
जब पाकिस्तान की वैश्विक छवि आतंकवाद, हिंसा, अस्थिरता और कट्टरवाद से जुड़ गई है और जब उसे विदेश नीति, कूटनीति और वित्तीय मदद से कोई मदद नहीं मिल रही है, तो आईएसआई ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपनी धुंधली छवि को चमकाने की चाल चली है. हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग और दूसरे पश्चिमी देश अपने नागरिकों को पाकिस्तान न जाने की चेतावनी देते हैं. इसके बावजूद सोशल मीडिया पर पाकिस्तान को 'स्वर्ग' बताने वाले ये व्लॉगर दरअसल एक बड़ी प्रोपेगेंडा मशीन का हिस्सा हैं. अब भारत समेत दुनिया भर की खुफिया एजेंसियों के सामने सीमा पार आतंकवाद ही नहीं बल्कि डिजिटल देशी युद्ध भी बड़ी चुनौती बन गया है. सोशल मीडिया अब सूचना युद्ध का नया मंच बन गया है, जहां आईएसआई जैसे संगठनों की झूठी कहानियों को उजागर करने के लिए समय की जरूरत है.


