शनि देव की दृष्टि क्यों मानी जाती है अमंगलकारी? जानिए पौराणिक कथा
शनि देव की नजर को अशुभ क्यों माना जाता है? इसका कारण है एक पौराणिक कथा, जिसमें उनकी पत्नी चित्रा ने उन्हें नजरअंदाज किए जाने पर श्राप दे दिया था. लेकिन ये नजर केवल तब अमंगलकारी होती है जब शनि देव क्रोधित होते हैं. पढ़ें पूरी कहानी और जानें शनि देव की दृष्टि का राज!

Lord Shani Gaze: सनातन धर्म में शनि देव का महत्वपूर्ण स्थान है. उन्हें न्यायप्रिय देवता माना जाता है, जो व्यक्ति के कर्मों के आधार पर उसे फल देते हैं. लेकिन शनि की दृष्टि को हमेशा अमंगलकारी क्यों माना जाता है? क्या इसके पीछे कोई गहरी कहानी है? आज हम जानेंगे कि क्यों शनि की दृष्टि को लेकर लोग डरते हैं और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है.
शनि देव की दृष्टि क्यों अमंगलकारी मानी जाती है?
हमेशा से यह माना जाता रहा है कि शनि देव की दृष्टि से जीवन में परेशानियाँ आती हैं. उनका नाम सुनते ही कई लोग घबराने लगते हैं, क्योंकि उनकी दृष्टि को अशुभ और कष्टकारी माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनि देव की दृष्टि को अमंगलकारी क्यों माना गया? इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जो बताती है कि यह सब कैसे हुआ.
शनि देव का श्राप: पत्नी चित्रा का क्रोध
कहानी के अनुसार, शनिदेव का विवाह चित्ररथ की पुत्री चित्रा से हुआ था. चित्रा एक तपस्विनी और पतिव्रता स्त्री थीं, जो हमेशा अपने पति के साथ अच्छे संबंध बनाए रखती थीं. एक दिन चित्रा ने अपने पति शनिदेव को ध्यान में लीन देखा. वह उनके पास आईं और उन्हें अपने साथ समय बिताने के लिए कहा, लेकिन शनिदेव उस समय भगवान विष्णु के ध्यान में इतने गहरे थे कि उन्हें अपनी पत्नी की पुकार सुनाई नहीं दी.
इस बात से चित्रा बहुत नाराज हो गईं और उन्होंने अपने पति को श्राप दे दिया, "तुमने मुझे अपने ध्यान में लीन रहने के कारण अस्वीकार किया है, अब से तुम जिस पर भी अपनी दृष्टि डालोगे, उसका अनिष्ट होगा."
श्राप और उसका असर
शनिदेव को अपनी पत्नी का श्राप बहुत दुखी कर गया, क्योंकि वह जानते थे कि चित्रा की बात सही होगी. वह एक सती स्त्री थीं और उनका दिया हुआ श्राप अमान्य नहीं हो सकता था. शनिदेव ने अपनी पत्नी से कई बार माफी मांगी, यह समझाने की कोशिश की कि वह भगवान विष्णु के ध्यान में थे और उनकी पुकार नहीं सुन पाए. फिर उन्होंने चित्रा से श्राप वापस लेने का आग्रह किया.
चित्रा को भी बाद में अपनी गलती का एहसास हुआ. उन्होंने कहा कि 'शनिदेव की दृष्टि तब ही अमंगलकारी होगी, जब वह क्रोधित होंगे या जब उनकी वक्र दृष्टि किसी पर पड़ेगी. साथ ही, इस दृष्टि से होने वाले नुकसान को कम करने का एकमात्र उपाय है भक्ति और तपस्या.'
शनि देव के न्यायप्रिय गुण
इस घटना के बाद से शनि देव की दृष्टि अमंगलकारी मानी जाने लगी. हालांकि, यह भी सच है कि शनिदेव केवल उन लोगों को कष्ट देते हैं जो बुरे कर्म करते हैं. यदि कोई व्यक्ति ईमानदारी, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलता है, तो शनिदेव की कृपा उन पर हमेशा बनी रहती है. शनिदेव अपने शिष्यों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं, और जो व्यक्ति सच्चे दिल से भक्ति और तपस्या करते हैं, उनके जीवन में शनि की दृष्टि कभी भी हानिकारक नहीं होती.


