आदिपुरुष फिल्म पर इलाहाबाद HC की तल्ख टिप्पणी, मनोज मुंतशिर को जारी किया नोटिस,मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदिपुरुष फिल्म के आपत्तिजनक डायलॉग के मामले में याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फिल्म को लेकर बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि हर बार हिंदुओं की सहनशक्ति की ही परीक्षा क्यों ली जाती है?

Tahir Kamran
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हाइलाइट

  • आदिपुरुष फिल्म पर इलाहाबाद HC की तल्ख टिप्पणी
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त,मनोज मुंतशिर से एक हफ्ते में मांगा जवाब

Adipurush Controversy: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदिपुरुष फिल्म के आपत्तिजनक डायलॉग के मामले में याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फिल्म को लेकर बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि हर बार हिंदुओं की सहनशक्ति की ही परीक्षा क्यों ली जाती है? शुक्र है उन्होंने (हिंदुओं ने) कानून नहीं तोड़ा है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भगवान राम और भगवान हनुमान सहित धार्मिक पात्रों को आपत्तिजनक तरीके से पेश करने के लिए फिल्म आदिपुरुष फिल्म के निर्माताओं की कड़े शब्दों में आलोचना भी की है. 

इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, मनोज मुंतशिर से एक हफ्ते में मांगा जवाब

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जो सज्जन हैं उन्हें हमेशा दबाना सही है क्या? यह तो अच्छा है कि यह एक ऐसे धर्म को लेकर है, जिसके मानने वालों ने फिल्म को लेकर पब्लिक ऑर्डर से जुड़ी प्राब्लम क्रिएट नहीं की. इसके लिए हमें उनका बहुत आभारी होना चाहिए.कोर्ट ने अपने सुनवाई में आगे कहा कि, फिल्म के सह-लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला को मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया. साथ ही उन्हें नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

फिल्म मेकर्स ने शायद विषय की गंभीरता को समझा ही नहीं:

वहीं अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने कहा कि, इस फिल्म में इस्तेमाल किए गए डायलॉग्स एक बड़ा मुद्दा हैं. लोगों के लिए रामायण एक मिसाल है, रामायण पूज्यनीय है. आज भी लोग रामचरितमानस पढ़कर घर से निकलते हैं. ऐसे में कुछ चीजों को छूना नहीं चाहिए था. फिल्म में जिस तरह के संवाद इस्तेमाल किए गए हैं उसे लेकर कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि फिल्म में भगवान हनुमान, माता सीता को जिस तरह से दिखाया गया वो किसी की समझ में नहीं आ रहा. कोर्ट ने कहा कि अच्छा है कि लोगों ने 'फिल्म देखने के बाद कानून-व्यवस्था नहीं तोड़ी. फिल्म मेकर्स ने शायद विषय की गंभीरता को समझा ही नहीं था.

याचिकाकर्ता प्रिंस लेनिन और रंजना अग्निहोत्री की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राजेश सिंह चौहान और श्रीप्रकाश सिंह की बेंच ने कहा कि, क्या सेंसर बोर्ड ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है? भगवान हनुमान और सीता मां को ऐसा दिखा कर समाज में क्या संदेश देना चाहते हैं? सॉलिसिटर जनरल से जवाब मांगते हुए बेंच ने कहा- यह गंभीर मामला है। क्या आप सेंसर बोर्ड से पूछ सकते हैं कि यह कैसे किया गया, क्योंकि राज्य सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर सकती।
 

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27 June 2023, 07:00 PM IST

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