पूर्व CJI चंद्रचूड़ के बंगले पर सुप्रीम कोर्ट का एक्शन, MoHUA को भेजा सख्त पत्र
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय वाई. चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने उनके आधिकारिक आवास को लेकर कड़ी चेतावनी दी है. कोर्ट ने शहरी विकास मंत्रालय (MoHUA) को एक सख्त पत्र भेजकर तत्काल बंगला खाली कराने की मांग की है.

देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के लिए निर्धारित आधिकारिक आवास, कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगला नंबर 5 को तत्काल खाली कराया जाए. यह आवास फिलहाल पूर्व CJI धनंजय वाई. चंद्रचूड़ के कब्जे में है, जो कि तय समय सीमा से अधिक समय तक वहां रह रहे हैं.
1 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की ओर से शहरी विकास मंत्रालय (MoHUA) को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि पूर्व CJI द्वारा अनुमति प्राप्त अवधि 31 मई 2025 को समाप्त हो चुकी है और नियम 3बी के तहत छह महीने की वैधानिक सीमा भी 10 मई 2025 को पूरी हो चुकी है. ऐसे में बंगला तुरंत खाली कराकर सुप्रीम कोर्ट के हाउसिंग पूल में वापस जोड़ा जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती
पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने नवंबर 2022 से नवंबर 2024 तक CJI का कार्यकाल संभाला था. उनके रिटायरमेंट के आठ महीने बाद भी वह टाइप VIII बंगले में रह रहे हैं, जो सिर्फ वर्तमान CJI के लिए निर्धारित है. उनसे पहले दो मुख्य न्यायाधीश — जस्टिस संजीव खन्ना और वर्तमान CJI भूषण आर. गवई — ने यह बंगला नहीं लिया और अपने पुराने आवास में ही रहना पसंद किया.
सुप्रीम कोर्ट के पत्र में साफ तौर पर कहा गया कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को नियम 3बी के तहत टाइप VII बंगला (बंगला नंबर 14, तुगलक रोड) आवंटित किया गया था, लेकिन उन्होंने वहां निर्माण कार्य रुकने के चलते रहने में असमर्थता जताई. दिल्ली में GRAP-IV के तहत प्रदूषण नियंत्रण नियमों के कारण मरम्मत कार्य रुक गया था.
‘30 अप्रैल तक ठहरने की अनुमति मांगी थी’: चंद्रचूड़
पूर्व CJI ने अपने पत्र में कहा था, “यह मेरे लिए अधिक सुविधाजनक होगा यदि मुझे 30 अप्रैल 2025 तक कृष्ण मेनन मार्ग स्थित वर्तमान आवास में रहने की अनुमति दी जाए.” उन्होंने साथ ही यह भी प्रस्ताव दिया कि तुगलक रोड वाला बंगला किसी अन्य न्यायाधीश को आवंटित किया जा सकता है. MoHUA ने सुप्रीम कोर्ट को 13 फरवरी 2025 को सूचित किया था कि उन्हें विशेष परिस्थितियों को देखते हुए 11 दिसंबर 2024 से 30 अप्रैल 2025 तक बंगला बनाए रखने की अनुमति दी गई है, जिसका किराया ₹5,430 प्रति माह तय किया गया.
सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्देश
पत्र में आगे बताया गया कि पूर्व CJI ने मौखिक रूप से मई के अंत तक वहां रहने की अनुमति मांगी थी, जिसे कुछ शर्तों के साथ स्वीकार किया गया — कि आगे कोई विस्तार नहीं होगा. अब चूंकि यह समयसीमा भी पार हो चुकी है, सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने मंत्रालय से बंगले को तुरंत कब्जे में लेने और इसकी पुष्टि करने की मांग की है. यह पहला अवसर है जब सुप्रीम कोर्ट ने आधिकारिक स्तर पर पूर्व CJI से अपने आधिकारिक बंगले को खाली कराने की पहल की है. आमतौर पर ऐसे मामलों में अनौपचारिक विस्तार मिल जाता है, लेकिन यह हस्तक्षेप एक नई मिसाल बन गया है.
‘मेरी बेटियों को विशेष देखभाल की जरूरत’
पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने अपने जवाब में कहा, “मुझे सरकार की ओर से एक और मकान किराए पर आवंटित किया गया है, जो दो साल से बंद था और अभी मरम्मत के दौर में है. मैंने सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दी थी और आश्वस्त किया था कि जैसे ही मकान तैयार होगा, मैं अगले ही दिन उसमें शिफ्ट हो जाऊंगा.” उन्होंने कहा, “मेरी दो बेटियां हैं, जिन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता है. उनमें गंभीर को-मॉर्बिडिटी और अनुवांशिक समस्याएं हैं — खासकर नेमालाइन मयोपैथी, जिसका इलाज एम्स में विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है.” चंद्रचूड़ ने आगे कहा, “मैं पूरी तरह समझता हूं कि यह मेरा व्यक्तिगत विषय है, लेकिन मुझे यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि मुझे क्यों अधिक समय लगा उपयुक्त मकान खोजने में. मैंने इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और अधिकारियों से चर्चा भी की है.”
“कुछ ही दिनों की बात है”: CJI चंद्रचूड़
पूर्व CJI ने यह भी स्पष्ट किया कि जल्द ही यह मुद्दा सुलझ जाएगा. उन्होंने कहा, “यह बस कुछ दिनों की बात है और मैं पूरी तरह से अपने दायित्वों से अवगत हूं. मैंने देश का सर्वोच्च न्यायिक पद संभाला है और मैं अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह समझता हूं.” उन्होंने एक और महत्वपूर्ण तथ्य साझा किया: “28 अप्रैल को मैंने तत्कालीन CJI जस्टिस संजीव खन्ना को पत्र लिखा था, जिसमें मैंने सूचित किया था कि मैं अपनी बेटियों की विशेष जरूरतों के अनुसार आवास खोजने की प्रक्रिया में हूं और 30 जून तक विस्तार की मांग की थी.”