सुप्रीम कोर्ट की असम सरकार को फटकार, 63 अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के लिए 'क्या मुहूर्त का किया जा रहा इंतजार
असम सरकार की आलोचना करते हुए न्यायमूर्ति ओका ने कहा, "बेशक, ऐसा है। आपने सत्यापन की तारीखें क्यों नहीं बताईं? हलफनामा दोषपूर्ण है।" इसके बाद जस्टिस भुयान ने पूछा, "जब आप किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित कर देते हैं, तो आपको अगला तार्किक कदम उठाना चाहिए। आप उन्हें हमेशा के लिए हिरासत में नहीं रख सकते। अनुच्छेद 21 लागू है। असम में कई विदेशी हिरासत केंद्र हैं। आपने कितने लोगों को निर्वासित किया है?"

सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को विदेशी घोषित लोगों को वापस न भेजने के लिए फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से पूछा कि क्या वह हिरासत केंद्रों में बंद 63 लोगों को वापस भेजने के लिए किसी “मुहूर्त” (शुभ समय) का इंतजार कर रही है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने असम सरकार से राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अद्यतन करने की प्रक्रिया के दौरान उन्हें निर्वासित करने को कहा।
असम तथ्यों को दबाया जा रहा
न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि असम तथ्यों को दबा रहा है, जिस पर भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि उन्होंने सर्वोच्च प्राधिकारी से बात की है और "कुछ खामियों" के लिए माफी मांगी है। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, "हम आपको झूठी गवाही का नोटिस जारी करेंगे। आपको अपनी गलती स्वीकार करनी होगी।" हालांकि राज्य के वकील ने कहा कि "छिपाने का कोई इरादा नहीं है"।
असम सरकार को क्या करने को कहा है?
इसके बाद पीठ ने असम सरकार को अवैध अप्रवासियों को तुरंत निर्वासित करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, "आप उनकी नागरिकता की स्थिति जानते हैं। फिर आप उनका पता मिलने तक कैसे इंतजार कर सकते हैं? यह दूसरे देश को तय करना है कि उन्हें कहां जाना चाहिए।"
उन्होंने असम से यह भी पूछा कि उसने इस प्रक्रिया को पूरा करने में मदद लेने के लिए विदेश मंत्रालय को प्रस्ताव क्यों नहीं सौंपा।