score Card

वक्फ संशोधन एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में गरमाई बहस, आमने-सामने आए SG मेहता और सिब्बल

वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र और याचिकाकर्ताओं के बीच तीखी बहस हुई, जब केंद्र ने याचिकाकर्ताओं द्वारा तय मुद्दों से बाहर उठाए गए सवालों पर आपत्ति जताई.

वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और याचिकाकर्ताओं के बीच तीखी बहस देखने को मिली. मामला संवेदनशील होने के साथ-साथ कानूनी दृष्टि से भी बेहद अहम माना जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष ये बहस उस समय तेज हो गई जब केंद्र ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने तय मुद्दों से इतर बातें उठाईं, जबकि याचिकाकर्ता ने इसका कड़ा विरोध किया.

सुनवाई के दौरान, अदालत में वक्फ कानून को चुनौती देने वालों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने-अपने पक्ष में जोरदार दलीलें दीं.

केंद्र की आपत्ति: तय मुद्दों से बाहर क्यों गई याचिका?

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पिछली सुनवाई में अदालत ने केवल 3 विशिष्ट मुद्दों पर अंतरिम राहत के लिए जवाब दाखिल करने को कहा था. उन्होंने तर्क दिया कि केंद्र ने इन्हीं तीन बिंदुओं- वक्फ बोर्ड की नियुक्ति, 'वक्फ बाय यूजर' और सरकारी संपत्तियों की पहचान पर ही जवाब दाखिल किया है.

तुषार मेहता ने अदालत से अनुरोध किया कि याचिकाकर्ताओं ने अन्य कई मुद्दों पर भी लिखित जवाब दाखिल किए हैं, जबकि अदालत ने बहस को सिर्फ तीन मुद्दों तक सीमित किया था. कृपया सुनवाई को इन्हीं तीन विषयों तक सीमित रखें.

अदालत ने कोई सीमा तय नहीं की: कपिल सिब्बल 

इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और केंद्र के तर्क का विरोध किया. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई आदेश नहीं है जिसमें कहा गया हो कि अंतरिम राहत की सुनवाई केवल तीन मुद्दों पर ही होगी. कोर्ट ने इन मुद्दों पर चर्चा जरूर की थी, लेकिन ये नहीं कहा था कि अन्य पहलुओं को उठाया नहीं जा सकता.

आदेश में कोई सीमा नहीं: सुप्रीम कोर्ट

मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कपिल सिब्बल की बात से सहमति जताई. अदालत ने स्पष्ट किया कि उसके पूर्व आदेश में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है जिससे ये निष्कर्ष निकाला जाए कि केवल 3 मुद्दों पर ही सुनवाई की जाएगी. पीठ ने कहा कि हमने अपने आदेश में बहस के दायरे को सीमित करने की कोई बात नहीं कही थी. याचिकाकर्ता अन्य संबंधित मुद्दे उठाने के लिए स्वतंत्र हैं.

calender
20 May 2025, 01:00 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag