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TMC ने पीएम-सीएम को हटाने वाले बिल को कहा तमाशा, JPC की बैठक से बनाएगी दूरी

टीएमसी ने शनिवार को केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन अहम विधेयकों की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को तमाशा करार दिया. टीएमसी ने साफ कर दिया कि वह इसमें अपना कोई सदस्य नामित नहीं करेगी.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

TMC will boycott JPC: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शनिवार को केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन अहम विधेयकों की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को तमाशा करार दिया और साफ कर दिया कि वह इसमें अपना कोई सदस्य नामित नहीं करेगी. पार्टी का कहना है कि समिति में सत्तारूढ़ दल के बहुमत के चलते विपक्ष की राय को दरकिनार कर दिया जाता है, इसलिए इसमें शामिल होना निरर्थक है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि लोकसभा में 20 अगस्त को पेश किए गए तीनों विधेयक संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025, वास्तव में लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने वाले कदम हैं. इन विधेयकों में प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर आरोप में 30 दिनों तक हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद से हटाया जा सकेगा.

सपा भी जेपीसी से दूरी पर

सूत्रों के मुताबिक, समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी समिति से दूर रहने का निर्णय लिया है. टीएमसी और सपा, कांग्रेस के बाद संसद में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टियों में गिनी जाती हैं. टीएमसी के राज्यसभा नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने ब्लॉग पोस्ट में लिखा कि जेपीसी में अध्यक्ष और सदस्यों का चयन संसदीय गणना के आधार पर होता है, जिससे स्वाभाविक रूप से समिति का पलड़ा सत्तारूढ़ दल की ओर झुक जाता है. ऐसे में विपक्ष की राय केवल असहमति नोट तक सीमित रह जाती है.

सरकार पर गंभीर आरोप

ओ’ब्रायन ने आरोप लगाया कि 2014 के बाद से जेपीसी की मूल भावना कमजोर हो गई है और अब यह सरकार के हेरफेर का शिकार है. उन्होंने 1987 के बोफोर्स मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि तब भी विपक्ष ने समिति का बहिष्कार किया था क्योंकि उसमें निष्पक्षता नहीं बची थी. उनके मुताबिक, मौजूदा विधेयक जनता का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी और चुनावी धांधली जैसे मुद्दों से हटाने की साजिश है.

लोकसभा में हंगामा और आगे की राह

इन विधेयकों को मानसून सत्र के अंतिम दिनों में पेश किया गया था, जहां टीएमसी सांसदों ने जोरदार विरोध जताया. यहां तक कि उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के सामने विधेयकों की प्रतियां फाड़कर कागज के टुकड़े सदन में उछाले थे.

जेपीसी में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सांसद शामिल हैं, जिन्हें इन तीन विधेयकों की गहन समीक्षा का जिम्मा सौंपा गया है. समिति को अपनी रिपोर्ट नवंबर के तीसरे सप्ताह में शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में पेश करनी होगी. हालांकि, विपक्षी दलों के बहिष्कार से इस समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं.

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24 August 2025, 07:03 AM IST

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