लोकसभा में ई-सिगरेट का धुआं! 1 लाख जुर्माना, एक साल जेल...जानिए क्या कहता है भारत का कानून
शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद पर ई-सिगरेट पीने का आरोप लगाया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या संसद में ऐसे प्रतिबंधित उपकरण की अनुमति है?

नई दिल्ली: लोकसभा में उस दिन हंगामा मच गया जब बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद पर ई-सिगरेट पीने का आरोप लगाया. ठाकुर ने स्पीकर ओम बिड़ला से पूछा कि क्या संसद में ऐसे प्रतिबंधित उपकरण की अनुमति है? स्पीकर ने साफ इनकार किया और कहा कि किसी को भी इसकी छूट नहीं है.
ठाकुर ने दोषी सांसद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. यह घटना सिर्फ राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि देश में सख्ती से बैन ई-सिगरेट के दुरुपयोग का गंभीर मामला है.
ई-सिगरेट क्या है और कैसे करती है काम ?
ई-सिगरेट एक बैटरी से चलने वाला छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो सामान्य सिगरेट का विकल्प बताकर बेचा जाता है. इसमें एक विशेष लिक्विड होता है, जिसमें निकोटीन, फ्लेवर और कई केमिकल मिले होते हैं. डिवाइस इसे गर्म करके भाप बनाती है, जिसे यूजर सांस से अंदर लेता है.
यह पेन, पॉड या बड़े मॉड जैसे आकर्षक डिजाइनों में आती है. कंपनियां इसे स्टाइलिश और कम हानिकारक बताती हैं, लेकिन हकीकत अलग है. कई 'निकोटीन-फ्री' उत्पादों में भी छिपी निकोटीन पाई गई है, जो खासकर युवाओं के दिमाग को नुकसान पहुंचाती है.
स्वास्थ्य के लिए क्यों है खतरनाक ?
लोग सोचते हैं कि ई-सिगरेट में धुआं नहीं, सिर्फ भाप है, इसलिए सुरक्षित है. लेकिन शोध बताते हैं कि यह भाप फेफड़ों में सूजन पैदा करती है, अस्थमा बढ़ाती है और कोशिकाओं को नष्ट करती है. इसमें बनने वाले केमिकल जैसे एक्रोलीन फेफड़ों को जलाते हैं और कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, इसका नियमित इस्तेमाल दिल का दौरा और स्ट्रोक की संभावना 30 प्रतिशत तक बढ़ा देता है.अमेरिकी अध्ययनों ने भी इसे फेफड़ों के लिए घातक बताया है.
ई-सिगरेट को लेकर भारत में सख्त प्रतिबंध
स्वास्थ्य जोखिमों और युवाओं में बढ़ती लत को देखते हुए भारत सरकार ने 2019 में ई-सिगरेट पर पूरा बैन लगा दिया निर्माण, आयात, बिक्री, वितरण सब गैरकानूनी है. पहली बार उल्लंघन पर 1 लाख रुपये जुर्माना और 1 साल जेल की सजा है. दोबारा पकड़े जाने पर 5 लाख जुर्माना और 3 साल तक कैद हो सकती है. यह कानून युवाओं को बचाने के लिए लाया गया था.
संसद में घटना से क्या सबक?
संसद जैसे पवित्र स्थान पर प्रतिबंधित ई-सिगरेट का इस्तेमाल कानून की अनदेखी है. यह सवाल उठाता है कि जब जनप्रतिनिधि ही नियम तोड़ें तो आम लोग कैसे मानें? घटना से साफ है कि बैन के बावजूद ऐसे उत्पाद बाजार में घूम रहे हैं. सरकार को सख्ती से जांच और जागरूकता बढ़ानी चाहिए.


