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मुंबई-अहमदाबाद नेशनल हाइवे पर जाम से बेहाल हुए लोग, लगातार पांचवें दिन यात्रियों को उठानी पड़ी परेशानी

मुंबई-अहमदाबाद हाईवे (NH-48) पर पांच दिनों से जारी भारी ट्रैफिक जाम ने यात्रियों, आपात सेवाओं और व्यवसायों को प्रभावित किया है. मरम्मत कार्य, अव्यवस्थित यातायात और वर्षों से चली आ रही समस्याओं ने हालात बिगाड़े हैं. लोग मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेसवे से राहत की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन प्रगति धीमी है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

Mumbai Ahmedabad Highway traffic: मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-48) पर पांचवें दिन भी यात्री भारी जाम की वजह से परेशानी में नजर आए. घंटों तक फंसे रहने के कारण आम लोग, आपातकालीन सेवाएं और व्यवसाय प्रभावित हुए. एम्बुलेंस, कार, बसें और मालवाहक ट्रक लम्बी कतारों में खड़ी रहीं, जिससे स्थिति बेहद गंभीर हो गई.

मरम्मत कार्य बना जाम की बड़ी वजह

ठाणे के गायमुख घाट क्षेत्र में चल रहे मरम्मत कार्य को लेकर तीन दिनों के लिए भारी वाहनों के लिए मार्ग बंद कर दिया गया था. इसके बावजूद, कई ट्रक और भारी वाहन निर्देशों का पालन किए बिना उसी मार्ग से गुजरे, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया. यात्रियों ने बताया कि उन्हें 5 से 8 घंटे तक सड़क पर फंसे रहना पड़ा, जबकि एम्बुलेंस जैसी सेवाओं को रास्ता तक नहीं मिल पाया.

सालों से बनी हुई है परेशानी

यह समस्या कोई नई नहीं है. बीते 7-8 वर्षों से NH-48 पर यात्री इसी तरह के जाम का सामना कर रहे हैं. वर्सोवा ब्रिज की मरम्मत और नए ब्रिज के निर्माण के दौरान भी दो-तीन साल तक ट्रैफिक की स्थिति बेहाल रही थी. मानसून में गड्ढों में पानी भर जाने और बारिश के बाद सड़कों के उखड़ने से हालात और बिगड़ जाते हैं. सरकार द्वारा 600 करोड़ रुपये खर्च कर सड़क को सीमेंट-कंक्रीट से मजबूत किया गया, फिर भी हालात में कोई खास सुधार नहीं आया.

क्या NH-48 जीवनरेखा है या बोझ?

महाराष्ट्र और गुजरात को जोड़ने वाला यह हाईवे देश के प्रमुख आर्थिक मार्गों में गिना जाता है. यह मुंबई, ठाणे और पुणे जैसे बड़े शहरों को जोड़ता है. लेकिन जिस तेज़ी से देश के अन्य हिस्सों में एक्सप्रेसवे और मेट्रो प्रोजेक्ट्स पूरे हो रहे हैं, उसी अनुपात में NH-48 की हालत लगातार बदतर हो रही है.

वसई-विरार के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित

वसई-विरार क्षेत्र के लाखों निवासियों के लिए NH-48 मुंबई तक पहुंचने का मुख्य जरिया है. वैकल्पिक साधन जैसे रो-रो फेरी सेवा की अपनी सीमाएं हैं, यहां भी वाहन कतारों में खड़े रहते हैं. यात्रियों को कई घंटे पहले यात्रा शुरू करनी पड़ती है. बुजुर्ग और शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों के लिए यह स्थिति और भी मुश्किल बन जाती है.

मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेसवे से उम्मीदें

लोगों की उम्मीदें अब मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेसवे से जुड़ी हैं, जो NH-48 पर दबाव को काफी हद तक कम कर सकता है. लेकिन इसकी प्रगति धीमी है और वसई, पालघर, दहानु जैसे क्षेत्रों के लोग इसके पूर्ण होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

जाम से हो रहा है आर्थिक नुकसान

हर दिन लगने वाले जाम के कारण ईंधन की बर्बादी, वायु प्रदूषण और भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है. हाईवे किनारे के छोटे व्यवसाय भी प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि यात्री अब सड़क किनारे रुकना तक नहीं चाहते.

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16 October 2025, 08:43 AM IST

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