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जब विपक्ष ने SIR चर्चा ठुकराई तो सरकार ने वंदे मातरम उठाया, क्या प्रधानमंत्री जवाब देंगे?

संसद का शीतकालीन सत्र जोरदार हंगामे से शुरू हुआ जब विपक्ष ने SIR पर तुरंत चर्चा की मांग की। सरकार ने इसके बजाय वंदे मातरम पर विशेष चर्चा तय की, जिसमें पीएम मोदी शामिल हो सकते हैं।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

New Delhi: संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू होते ही माहौल गरम हो गया। विपक्ष ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग की। सरकार ने सीधे जवाब देने से बचते हुए पहले वंदे मातरम पर विशेष चर्चा का प्रस्ताव रखा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बहस के लिए दस घंटे का समय तय किया है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस चर्चा में शामिल होंगे जिससे इसे राष्ट्रीय महत्व मिलेगा। विपक्ष के सांसद इस निर्णय से असंतुष्ट नज़र आए और सदन से वॉकआउट कर गए।

SIR पर जंग क्यों छिड़ी?

जानकारी के अनुसार विपक्ष बारह राज्यों और कुछ केंद्रशासित क्षेत्रों में मतदाता सूची की समीक्षा प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और इससे चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है। सरकार ने चर्चा की मांग पूरी तरह ठुकराई नहीं पर इसे फिलहाल टाल दिया। कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है और मांग को खारिज नहीं किया गया है। लेकिन विपक्ष चाहता था कि यह मुद्दा पहले लिया जाए, जिससे सदन में गतिरोध और बढ़ गया।

वंदे मातरम पर चर्चा क्यों?

बताया जा रहा है कि इस सप्ताह वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पूरी हो रही है। इसी कारण सरकार ने इसे राष्ट्रीय एकता और सम्मान का मुद्दा बताते हुए लोकसभा में विशेष चर्चा तय की। सर्वदलीय बैठक में इस पर सहमति बनी थी और कार्यनीति समिति ने भी इसे स्वीकार किया था। सरकार का मानना है कि इस बहस से देश में एकजुटता का संदेश जाएगा। हालांकि विपक्ष का कहना है कि भावनात्मक मुद्दों से जरूरी विषयों को दबाया जा रहा है।

क्या विपक्ष साथ देगा?

रिपोर्ट के अनुसार वंदे मातरम पर चर्चा को लेकर विपक्ष ने कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई। उनका कहना है कि जनता से जुड़े मामलों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। प्रदूषण, दिल्ली बम धमाके और SIR जैसे विषयों को पहले उठाया जाना जरूरी है। संसद में शोर-शराबे और वॉकआउट से यह संकेत मिला कि विपक्ष इस चर्चा से दूर रह सकता है। हालांकि कुछ सांसदों ने कहा कि वे सम्मान को देखते हुए बहस में शामिल हो सकते हैं पर शर्तों के साथ।

क्या प्रधानमंत्री बढ़ाएंगे संदेश?

सूत्रों का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चर्चा में भाग लेकर यह संदेश देना चाहेंगे कि वंदे मातरम केवल गीत नहीं बल्कि राष्ट्रीय भावना है। सरकार वंदे मातरम को एकता का प्रतीक मानते हुए सभी दलों को शामिल होने का निमंत्रण दे चुकी है। हालांकि विपक्ष को डर है कि इसे राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया जाएगा। अगर प्रधानमंत्री उपस्थित होते हैं तो माहौल सकारात्मक भी हो सकता है या और अधिक राजनीतिक रूप ले सकता है।

क्या जनता को फायदा होगा?

जनता जानना चाहती है कि संसद में बहसों से देश को वास्तविक लाभ मिलेगा या नहीं। SIR और प्रदूषण जैसी समस्याएं सीधे जनता से जुड़ी हैं। अगर इन मुद्दों को पीछे कर केवल भावनात्मक चर्चाएं की गईं तो इससे आम नागरिकों का भरोसा कम हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों मुद्दों पर संतुलित चर्चा जरूरी है ताकि देश एक साथ आगे बढ़ सके।

क्या सत्र में हल निकल पाएगा?

सत्र की शुरुआत में ही जिस प्रकार हंगामा हुआ उससे संकेत मिलता है कि आने वाले दिनों में और टकराव संभव है। अगर सरकार और विपक्ष बातचीत का रास्ता नहीं निकालते तो जरूरी कानून और प्रस्ताव अटक सकते हैं। वंदे मातरम पर चर्चा से भावनात्मक माहौल बनेगा पर क्या यह विरोध खत्म कर पाएगा यह देखना होगा। संसद से जनता उम्मीद रखती है कि समाधान निकले न कि केवल आरोपों का दौर चले।

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01 December 2025, 06:15 PM IST

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