वोटर कार्ड, चॉकलेट रैपर और बायोमीट्रिक रिकॉर्ड...ऑपरेशन महादेव में मारे गए तीनों आतंकवादी पाकिस्तानी
ऑपरेशन महादेव के तहत सुरक्षा बलों ने पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड समेत तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराया. उनके पास से मिले पहचान पत्र, चॉकलेट रैपर और बायोमेट्रिक रिकॉर्ड ने पाकिस्तान से संबंध की पुष्टि की. ये वही आतंकी थे जिन्होंने 22 अप्रैल को 26 नागरिकों की हत्या की थी.

सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में ऑपरेशन महादेव में पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड समेत तीन आतकियों को ढेर कर दिया. इन आतंकवादियों के पास से बरामद पाकिस्तानी मतदाता पहचान पत्र, कराची में बनी चॉकलेट के रैपर और बायोमेट्रिक रिकॉर्ड वाली माइक्रो-एसडी चिप ने उनके पाकिस्तान से होने का सबूत दिया है. यह घटना 28 जुलाई को श्रीनगर के दाचीगाम इलाके में हुई मुठभेड़ के दौरान सामने आई.
पहलगाम हमले से आतंकवादियों का संबंध
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के पीछे भी यही तीन आतंकवादी थे. उस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या हुई थी. फोरेंसिक और बैलिस्टिक विश्लेषण से पता चला कि हमले में इस्तेमाल हुई गोलियों के निशान उन तीन आतंकवादियों के कब्जे में मिले एके-47 राइफलों के निशानों से मेल खाते हैं.
आतंकवादियों की पहचान
मारे गए आतंकवादियों में सुलेमान शाह, जो इस हमले का मास्टरमाइंड था, दूसरा आतंकवादी अबू हमजा उर्फ़ अफगानी और तीसरा यासिर उर्फ़ जिबरान था. सुलेमान शाह और अबू हमजा के शवों के पास पाकिस्तान चुनाव आयोग द्वारा जारी दो मतदाता पहचान पत्र बरामद हुए, जो लाहौर और गुजरांवाला के मतदाता सूची में दर्ज थे.
इसके साथ ही एक माइक्रो-एसडी कार्ड में उनके NADRA के बायोमेट्रिक रिकॉर्ड भी पाए गए, जिसमें उंगलियों के निशान, चेहरे के नमूने और परिवार की जानकारी शामिल थी. उनके पंजीकृत पते पाकिस्तान के कसूर ज़िला और रावलकोट, पीओके के पास के कोइयां गांव में थे. इनके साथ मिली चॉकलेट के रैपर भी कराची निर्मित थे, जो उनके पाकिस्तानी होने की पुष्टि करते हैं.
आतंकियों की घुसपैठ
खुफिया एजेंसियों ने यह भी पता लगाया कि तीनों आतंकवादी मई 2022 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर भारत में घुसे थे. पाकिस्तान से उनकी रेडियो चेक-इन भी इंटरसेप्ट की गई थी. 21 अप्रैल 2025 को ये बैसरन घाटी के पास हिल पार्क के एक मौसमी झोपड़ी (ढोक) में पहुंचे, जहां दो स्थानीय निवासियों ने उन्हें आश्रय दिया और भोजन उपलब्ध कराया.
22 अप्रैल को ये आतंकवादी बैसरन के घास के मैदान पर पहुंचे और दोपहर 2:30 बजे हमला किया. इसके बाद वे दाचीगाम के जंगल की ओर भाग निकले. सुलेमान शाह की गार्मिन घड़ी से मिले जीपीएस डेटा ने इस घटना की सटीक स्थिति की पुष्टि की.


