मणिपुर में कब-कब लगा राष्ट्रपति शासन, जानिए पूरी रिपोर्ट विस्तार से
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है. इससे पहले 9 फरवरी को राज्य के सीएम बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया था. ये इस्तीफा उन्होंने राज्य में चली आ रही जातीय हिंसा के करीब दो साल बाद दिया था. आईए आपको बताते हैं कि मणिपुर में कितनी बार लगा राष्ट्रपति शासन.

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद यह कार्रवाई की गई है. ये इस्तीफा उन्होंने राज्य में चली आ रही जातीय हिंसा के करीब दो साल बाद दिया था. इस मामले के साथ ही अन्य मुद्दों को लेकर राज्य में उनकी आलोचना हो रही थी. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद से चर्चा थी कि राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है. आईए आपको बताते हैं कि मणिपुर में कितनी बार लगा राष्ट्रपति शासन.
मणिपुर में 13 फरवरी 2025 से पहले 10 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है. सबसे पहले राष्ट्रपति शासन 12 जनवरी 1967 को लगा था, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया और केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति शासन लगाया गया. राज्य में 66 दिनों तक राष्ट्रपति शासन रहा.
दूसरी बार 116 दिनों तक राष्ट्रपति शासन रहा
20 मार्च 1967 को मैरेम्बम कोइरेंग सिंह दोबारा मुख्यमंत्री बने. लेकिन वह सिर्फ 198 दिनों तक ही मुख्यमंत्री रहे और 4 अक्तूबर को पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद मणिपुर यूनाइडेट फ्रंट के नेता केइशामथोंग मुख्यमंत्री बने. वह विधानसभा में बहुमत हासिल नहीं कर पाए और 24 अक्तूबर को पद से इस्तीफा देना पड़ा. 25 अक्तूबर 1967 में फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन की अधिसूचना जारी कर दी गई. 116 दिनों तक राष्ट्रपति शासन रहा.
17 फरवरी 1969 को लगा तीसरी बार राष्ट्रपति शासन
इसके करीब एक साल बाद मणिपुर में विधानसभा चुनाव हुए. कांग्रेस की सरकार बनी और मैरेम्बम कोइरेंग सिंह तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. वह करीब 1 साल 239 दिनों तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. इस बीच उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा और राज्य में 17 फरवरी 1969 को तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लग गया.
23 मार्च 1972 को मणिपुर पीपुल्स पार्टी (MPP) के नेतृत्व में सरकार बनी.मोहम्मद अलीमुद्दीन राज्य के मुख्यमंत्री बने. लेकिन सरकार 1 साल ही चल सकी और 28 मार्च 1973 को फिर मणिपुर में प्रेसीडेंट रूल लगा दिया गया. करीब 340 दिनों तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा और फिर विधानसभा चुनाव हुए.
तीन मुख्यमंत्री हुए चेंज, फिर भी लगा राष्ट्रपति शासन
विधानसभा चुनावों में मणिपुर पीपुल्स पार्टी को जीत मिली. 4 मार्च 1974 को मोहम्मद अलीमुद्दीन फिर मुख्यमंत्री बने. लेकिन 127 दिनों तक ही पद पर रहे. इसके बाद मणिपुर हिल्स यूनियन ने सरकार बनाई और 10 जुलाई 1947 को यांगमासो शाइज़ा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 148 दिनों बाद उन्होंने भी सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. मणिपुर में फिर से संवैधानिक संकट खड़ा हो गया. हालांकि, 6 दिसंबर को कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया और याइसकुल मुख्यमंत्री बने. सरकार 2 साल 160 दिन तक चली. इसके बाद फिर से 16 मई 1977 को 46 दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन लग गया.
7 जनवरी 1992, 31 दिसंबर 1993, 2 जून 2001 को भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहा
इसके बाद 7 जनवरी 1992, 31 दिसंबर 1993, 2 जून 2001 को भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहा. अब मणिपुर में एक बार फिर राजनीतिक संकट पैदा हो गया. 9 फरवरी 2025 को एन बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है.
लगातार बैठकों के बाद भी नहीं बनीं बात
एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद से ही नए मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगाने के लिए बीजेपी नेताओं की बैठकों का दौर शुरू हो गया था. मणिपुर प्रभारी संबित पात्रा बीजेपी के दिग्गज नेताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे. हालांकि अब सूबे में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है.
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 174(1) के अनुसार राज्य विधानसभाओं को अपनी अंतिम बैठक के छह महीने के भीतर बुलाना अनिवार्य है. मणिपुर में पिछला विधानसभा सत्र 12 अगस्त 2024 को बुलाया किया गया था. लेकिन बीते दिन यानी बुधवार को विधानसभा सत्र बुलाने की समय सीमा खत्म हो गई.


