राहुल गांधी आखिर हैं कहां? हर बड़े मौके से गायब, अब नेता विपक्ष की गैर-मौजूदगी पर उठ रहे हैं सवाल

गणतंत्र दिवस हो, महाकुंभ का भव्य आयोजन या फिर दिल्ली चुनाव की हलचल—हर जगह बड़े नेता नजर आए, मगर राहुल गांधी नदारद रहे! बाढ़ संकट के समय छुट्टियां, राम मंदिर से दूरी, संविधान दिवस पर भी गैरमौजूदगी—आखिर ये सब क्या इशारा कर रहे हैं? कांग्रेस के कार्यकर्ता भी अब सोचने लगे हैं कि राहुल गांधी आखिर हैं कहां? क्या ऐसे नेता से देश का नेतृत्व संभव है? पूरी कहानी जानने के लिए खबर जरूर पढ़ें!

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Edited By: Aprajita

New Delhi: भारत ने हाल ही में अपना 76वां गणतंत्र दिवस मनाया, और इसी के साथ दो बड़े आयोजन भी चल रहे हैं. एक ओर, 144 साल बाद हो रहे महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है, तो दूसरी ओर, देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं. हर बड़े नेता किसी न किसी रूप में इन आयोजनों का हिस्सा बन रहा है. लेकिन इस पूरे परिदृश्य में कांग्रेस के शीर्ष नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की गैरमौजूदगी ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.

महाकुंभ से दूरी

महाकुंभ भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है. यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं. बीजेपी के बड़े नेताओं ने इसमें शामिल होकर भारतीय संस्कृति का सम्मान बढ़ाया, लेकिन राहुल गांधी ने इस आयोजन से दूरी बनाए रखी.

यह वही राहुल गांधी हैं, जिन्होंने खुद को 'जनेऊधारी ब्राह्मण' बताया था, लेकिन जब गणेश चतुर्थी और नवरात्रि जैसे धार्मिक आयोजनों की बात आती है, तो वे दूरी बनाए रखते हैं. क्या यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक मूल्यों की अनदेखी नहीं है?

गणतंत्र दिवस पर भी नहीं दिखे राहुल गांधी

गणतंत्र दिवस सिर्फ एक परेड नहीं, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और सैनिकों के बलिदान का प्रतीक है. इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी बड़े नेता कर्तव्यपथ पर नजर आए, लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इस परेड में शामिल नहीं हुए. इस गैरहाजिरी को राहुल गांधी की लोकतंत्र और देश की परंपराओं के प्रति उदासीनता के रूप में देखा जा रहा है. क्या एक विपक्षी नेता को इस तरह राष्ट्रीय आयोजनों से दूरी बनानी चाहिए?

बाढ़ संकट में राहुल गांधी छुट्टियों पर

जब भारत के कई राज्य बाढ़ की चपेट में थे, प्रधानमंत्री मोदी लगातार राहत कार्यों की निगरानी कर रहे थे और प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे थे. वहीं दूसरी ओर, राहुल गांधी किसी अज्ञात विदेशी लोकेशन पर छुट्टियों का आनंद ले रहे थे. यह पहली बार नहीं हुआ, जब राष्ट्रीय संकट के समय राहुल गांधी गायब मिले.

संविधान दिवस पर 'संविधान के रक्षक' नहीं दिखे

राहुल गांधी हाल ही में संसद में संविधान की प्रति लेकर खुद को 'संविधान का रक्षक' बता रहे थे. लेकिन जब 2022 में संविधान दिवस मनाया गया, तब वे ही इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम से गायब थे.

इतना ही नहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सम्मान न देना भी उनकी राजनीतिक गंभीरता पर सवाल खड़े करता है. क्या विपक्ष का नेता होने का यही मतलब है कि जब मर्जी तब संसद में गरजें और जब जरूरत हो, तब गायब हो जाएं?

राम मंदिर से भी दूरी क्यों?

राम मंदिर का भूमि पूजन और रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन था. प्रधानमंत्री मोदी समेत देशभर के नेता इसमें शामिल हुए, लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने इससे दूरी बनाए रखी.

इससे पहले भी कांग्रेस पार्टी का रवैया राम मंदिर के प्रति उदासीन रहा है. क्या राहुल गांधी का यह रवैया कांग्रेस के हिंदू वोटर्स को और नाराज नहीं करेगा?

दिल्ली चुनाव में भी कांग्रेस कमजोर, राहुल गांधी फिर नदारद

दिल्ली में विधानसभा चुनावों की गहमागहमी शुरू हो चुकी है. शुरू में ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस इस बार आम आदमी पार्टी और बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी. लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस का अभियान कमजोर होता दिख रहा है.

राहुल गांधी, जो दिल्ली चुनावों में कांग्रेस के स्टार प्रचारक हो सकते थे, वह कहीं नजर नहीं आ रहे. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा फैल रही है. बीजेपी और आप के नेता लगातार प्रचार कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस की लड़ाई फीकी पड़ती दिख रही है.

कांग्रेस के अपने ही कार्यक्रमों से दूरी!

राहुल गांधी की गैरमौजूदगी सिर्फ राष्ट्रीय आयोजनों तक सीमित नहीं है. कई बार वे कांग्रेस के अंदरूनी कार्यक्रमों से भी दूरी बना लेते हैं. जब मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी, तब राहुल गांधी ने विजय उत्सव तक में शामिल नहीं हुए. उनके इस रवैये से पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा फैलती है.

आखिर राहुल गांधी हैं कहां?

अब सवाल उठने लगा है कि राहुल गांधी कहां हैं? न वे गणतंत्र दिवस पर दिखे, न महाकुंभ में, न दिल्ली चुनाव में और न ही राष्ट्रीय संकट के समय. क्या ऐसा नेता जो हर महत्वपूर्ण आयोजन से दूरी बनाए रखता है, कभी देश का नेतृत्व कर सकता है?

राजनीति सिर्फ बयानबाजी से नहीं चलती, बल्कि उसमें सक्रिय भागीदारी जरूरी होती है. राहुल गांधी की यह 'गैरमौजूदगी की राजनीति' कांग्रेस के भविष्य के लिए अच्छी नहीं कही जा सकती.

राहुल गांधी का राष्ट्रीय आयोजनों और चुनावों से दूरी बनाना कोई नई बात नहीं है. उनकी गैरमौजूदगी एक पैटर्न बन चुकी है, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. अब देखना यह होगा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और राहुल गांधी कब तक इस 'गायब रहने की राजनीति' को जारी रखते हैं.

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04 February 2025, 03:57 PM IST

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