हनुमान जी को किसने दिया था शक्तियों को भूलने का श्राप? फिर लंका जाते समय किसने दिलाई याद? जानिए पूरी कहानी
भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी की शक्ति और वीरता के कई उदाहरण हमें रामायण में मिलते हैं. उनके पास अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां थीं, जो उन्हें असाधारण शक्तियां प्रदान करती थी. लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब हनुमान जी ने अपनी सभी शक्तियों को भूल दिया था.लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर किसने हनुमान जी को शक्तियों को भूलने का श्राप दिया और कैसे लंका जाते समय उन्हें अपनी शक्तियां याद आईं? अगर नहीं तो चलिए जानते हैं.

हनुमान जी की शक्तियों को लेकर हर कोई जानता है कि उनके पास अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां थी. यही शक्तियां थी, जिन्होंने उन्हें लंका तक का सफर आसान बना दिया और रावण जैसे अत्याचारी से जूझने की क्षमता दी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय था जब हनुमान जी ने अपनी सभी शक्तियों को पूरी तरह से भूल दिया था? तो आइए, जानते हैं कि आखिर किसने हनुमान जी को यह श्राप दिया था और कैसे समय आने पर उनकी शक्तियां उन्हें याद आई.
हनुमान जी की दिव्य शक्तियां और जन्म की कहानी
हनुमान जी का जन्म माता अंजनी और पिता केसरी के घर हुआ था. उनका आशीर्वाद वायुदेव से प्राप्त था और सूर्य देव ने भी उन्हें शक्ति दी थी. बालपन में हनुमान जी बहुत ही नटखट और शरारती थे. उनकी ताकत के आगे अन्य बच्चों की ताकत छोटी पड़ती थी. यह दिव्य शक्तियां ही थीं, जिनकी मदद से उन्होंने समुद्र पार कर लंका तक का सफर किया था.
किसने दिया था हनुमान जी को शक्तियां भूलने का श्राप?
रामायण की कथा के अनुसार, एक बार हनुमान जी अपनी शरारतों से ऋषियों का ध्यान भंग कर रहे थे, जिससे वे क्रोधित हो गए थे. ऋषि अंगिरा और भृगुवंश के ऋषियों ने हनुमान जी को श्राप दिया कि वह अपनी शक्तियों को भूल जाएंगे. हनुमान जी को जब अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उन्होंने ऋषियों से माफी मांगी. हालांकि ऋषियों ने कहा कि श्राप को वापस तो नहीं लिया जा सकता, लेकिन समय आने पर उन्हें अपनी शक्तियां याद आ जाएंगी.
कैसे हनुमान जी को लंका जाते समय याद आईं शक्तियां?
जब रावण ने माता सीता का हरण किया और उन्हें लंका ले गया, तो श्रीराम ने हनुमान जी और सुग्रीव से मदद ली. युद्ध से पहले श्रीराम के सेनापतियों ने सुझाव दिया कि रावण को संदेश भेजने के लिए किसी को लंका भेजा जाए. इस पर जामवंत जी ने हनुमान जी को याद दिलाया कि वह अपनी शक्तियों को भूल गए थे, लेकिन अब समय आ गया था कि उन्हें अपनी शक्तियां वापस मिल जाएं. जामवंत जी की बात सुनते ही हनुमान जी को अपनी ताकत याद आ गई. फिर उन्होंने विराट रूप धारण किया और समुद्र पार करके लंका पहुंचे.