'किसका कंधा इतना मजबूत जो उठा सके PM मोदी के वादों का भार? दिल्ली के नए CM की होगी अग्नि परीक्षा!'
दिल्ली में 27 साल बाद सत्ता में लौटी BJP के सामने अब सबसे बड़ा सवाल है—मुख्यमंत्री कौन बनेगा? जातीय समीकरण, आरएसएस की सिफारिशें और PM मोदी के वादों को पूरा करने की चुनौती इस फैसले को और दिलचस्प बना रही है. ब्राह्मण, जाट, पंजाबी समेत कई बड़े नाम दौड़ में हैं, लेकिन बाजी किसके हाथ लगेगी, ये अभी सस्पेंस बना हुआ है. BJP जल्द बड़ा ऐलान कर सकती है और अगले हफ्ते तक दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिल सकता है. लेकिन क्या ये चेहरा दिल्ली के मतदाताओं की उम्मीदों पर खरा उतरेगा? पूरी खबर पढ़ें और जानें, किसके सिर सजेगा ताज!

New Delhi: दिल्ली में 27 साल बाद सत्ता में लौटी बीजेपी के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है—आखिर मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इस फैसले से न सिर्फ राजधानी की राजनीति बल्कि पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं. बीजेपी के लिए यह सिर्फ एक नाम तय करने की बात नहीं है, बल्कि इसमें जातीय संतुलन, पार्टी संगठन, आरएसएस की सिफारिशें और दिल्ली के मतदाताओं की भावनाओं को ध्यान में रखना भी अहम होगा.
जातीय समीकरण और RSS की भूमिका होगी अहम!
बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली का मुख्यमंत्री चुनने में जातीय समीकरण बड़ी भूमिका निभाएगा. पार्टी के अंदरूनी हलकों में इस पर मंथन चल रहा है कि ब्राह्मण, जाट, पंजाबी या किसी अन्य प्रमुख समुदाय को इस पद पर बैठाया जाए. दिल्ली की राजनीति में ब्राह्मण, पंजाबी और जाट समुदाय का हमेशा से प्रभाव रहा है, और बीजेपी की जीत में भी इन समुदायों की बड़ी भागीदारी रही है. इसलिए, पार्टी इन वर्गों को साधने की पूरी कोशिश करेगी.
सूत्रों का कहना है कि आरएसएस (RSS) की भी इस फैसले में अहम भूमिका होगी. संघ साफ छवि और संगठन में गहरी पकड़ रखने वाले नेता को मुख्यमंत्री बनाने की सिफारिश कर सकता है.
सिर्फ सीएम नहीं, पूरी सरकार का होगा फैसला
दिल्ली में मुख्यमंत्री के साथ-साथ डिप्टी सीएम, स्पीकर और कैबिनेट मंत्री भी चुने जाएंगे. बीजेपी सरकार में सात मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि किस समुदाय और क्षेत्र को क्या प्रतिनिधित्व मिलेगा. एक सूत्र के मुताबिक, ब्राह्मण वोटों ने इस बार बीजेपी को जबरदस्त समर्थन दिया, इसलिए इस समुदाय के किसी नेता को अहम पद दिया जा सकता है. वहीं, जाट और पंजाबी वोटर्स को भी साधने की कोशिश होगी.
मोदी के वादों को पूरा करने की चुनौती
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विजय भाषण में साफ कहा था कि अब दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश—तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है. ऐसे में दिल्ली के इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने का जिम्मा नए मुख्यमंत्री पर होगा.
बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व ऐसे चेहरे की तलाश में है जो पीएम मोदी के विजन को धरातल पर उतार सके और जनता को भरोसा दिला सके कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार बदलाव लाएगी.
कौन-कौन हैं मुख्यमंत्री की दौड़ में?
बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के लिए कई नाम चर्चा में हैं—
➛ परवेश साहिब सिंह वर्मा (जाट समुदाय) - उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल को हराया.
➛ विजेंद्र गुप्ता (बनिया समुदाय) - अनुभवी नेता, विधानसभा में कई बार जीत दर्ज की.
➛ पवन शर्मा (ब्राह्मण समुदाय) - संगठन से गहरा जुड़ाव, RSS के करीबी.
➛ अरविंदर सिंह लवली (सिख समुदाय) - कांग्रेस से बीजेपी में आए, मजबूत पकड़.
➛ राज कुमार चौहान (दलित समुदाय) - कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे, अनुभव का फायदा.
➛ रेखा गुप्ता (बनिया समुदाय, महिला नेता) - बीजेपी में मजबूत महिला चेहरा.
➛ शिखा रॉय (ठाकुर समुदाय) - सौरभ भारद्वाज को हराकर बड़ी जीत दर्ज की.
➛ हरीश खुराना (पंजाबी खत्री समुदाय) - दिल्ली की राजनीति में सक्रिय नाम.
➛ अजय महावर और जितेंद्र महाजन (बनिया समुदाय) - बीजेपी में मजबूत पकड़.
➛ सतीश उपाध्याय (ब्राह्मण समुदाय) - सोमनाथ भारती को हराया, अनुभवी नेता.
अगले हफ्ते होगा नाम का ऐलान!
बीजेपी का संसदीय बोर्ड जल्द ही दिल्ली के मुख्यमंत्री पर अंतिम फैसला करेगा. पर्यवेक्षकों की नियुक्ति होगी, वे विधायकों से चर्चा करेंगे, और फिर बीजेपी विधायक दल की बैठक में सीएम के नाम का ऐलान किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, संसद का बजट सत्र 14 फरवरी तक चल रहा है, इसलिए दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिलने में एक हफ्ते का समय लग सकता है. अब देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली का नया सीएम कौन बनेगा और क्या वह पीएम मोदी के वादों का भार उठा पाएगा?


