‘मैं इस मामले में सुनवाई नहीं कर सकता...’, CJI गवई ने जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड की सुनवाई से क्यों किया किनारा?
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें उन्होंने इन्क्वायरी पैनल की रिपोर्ट को चुनौती दी है. वहीं, 145 लोकसभा और 63 राज्यसभा सांसदों ने वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दायर किया है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा द्वारा इन्क्वायरी पैनल की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. ये पैनल रिपोर्ट यशवंत वर्मा को कथित 'कैश रिकवरी' विवाद में दोषी ठहराती है. मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि मैं इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकता क्योंकि मैं भी उस समिति का हिस्सा था. हम इसे सूचीबद्ध करेंगे और एक नई बेंच का गठन करेंगे.
इस मामले में, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिबल ने याचिका में उठाए गए संविधानिक मुद्दों को आधार बनाकर मामले को जल्द सूचीबद्ध करने का आग्रह किया. इस बेंच में न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जोयमलया बागची भी शामिल थे.
इन्क्वायरी पैनल की रिपोर्ट और दोषी ठहराना
यशवंत वर्मा ने 8 मई को पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा उनके खिलाफ संसद से महाभियोग की सिफारिश करने के बाद उस सिफारिश को रद्द करने की मांग की है. इसके अलावा, यशवंत वर्मा ने इन्क्वायरी पैनल की रिपोर्ट को भी चुनौती दी है, जिसमें उन्हें वित्तीय अनियमितताओं और अनुशासनहीनता का दोषी पाया गया. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शीले नागू की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पैनल ने 10 दिनों तक जांच की, 55 गवाहों से बयान लिए और उस स्थान का दौरा किया जहां 14 मार्च को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई थी.
महाभियोग की सिफारिश और संसदीय समर्थन
सोमवार को, लोकसभा के 145 सांसदों और राज्यसभा के 63 सांसदों ने यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया. इस प्रस्ताव का समर्थन करने वाले प्रमुख सांसदों में अनुराग ठाकुर, रवि शंकर प्रसाद, राहुल गांधी, राजीव प्रताप रूडी, पी. पी. चौधरी, सुप्रिया सुले और के. सी. वेणुगोपाल जैसे बड़े नेता शामिल थे. ये प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत दायर किया गया है.
महाभियोग प्रस्ताव में ये आवश्यक है कि लोकसभा में 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर हों. याचिका प्रस्तुत करने के बाद, इसे संबंधित सदन के अध्यक्ष द्वारा स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकता है. कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने इस प्रस्ताव के लिए पार्टी का समर्थन पहले ही स्पष्ट कर दिया है और अन्य विपक्षी दलों के साथ इसे आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया है.


