कल आतंकवादी क्यों मारे गए? अखिलेश यादव ने ऑपरेशन महादेव की टाइमिंग पर उठाए सवाल
लोकसभा में अखिलेश यादव ने 'ऑपरेशन महादेव' की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए इसे राजनीतिक रणनीति बताया. उन्होंने 26 नागरिकों की मौत पर हो रही बहस के दौरान ऑपरेशन की घोषणा को विपक्ष को दबाने की कोशिश करार दिया और कहा कि सरकार सुरक्षा मामलों को राजनीति से दूर रखे व जवाबदेही तय करे.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा में मंगलवार को दिए गए अपने भाषण में केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन महादेव’ के समय को लेकर संदेह जाहिर किया, जिसमें सुरक्षा बलों ने पहलगाम में तीन आतंकियों को ढेर कर दिया था. अखिलेश का कहना था कि इस ऑपरेशन का समय कुछ ऐसा था जिससे यह एक राजनीतिक रणनीति की तरह प्रतीत होता है.
संसद में नरसंहार पर बहस
22 अप्रैल को संसद में उस दिल दहला देने वाले हमले पर चर्चा चल रही थी जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी. अखिलेश यादव ने कहा कि इसी दिन ऑपरेशन महादेव की सूचना सामने आई, जिसमें आतंकवादियों को मार गिराने की खबर दी गई. उनका मानना था कि यह सरकार द्वारा जनता और संसद का ध्यान भटकाने और विपक्ष के तीखे सवालों से बचने का एक तरीका हो सकता है.
अखिलेश का आरोप
अखिलेश यादव ने ऑपरेशन को लेकर सीधे तौर पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि जब विपक्ष संसद में सरकार की विफलताओं को उजागर करने की कोशिश कर रहा था, उसी वक्त इस ऑपरेशन को सामने लाया गया, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक ‘राजनीतिक बचाव रणनीति’ थी. उन्होंने कहा, “जिस समय देश सदमे में था, सरकार ने एक ‘सफलता’ की घोषणा कर दी. क्या यह संयोग है या सोच-समझकर उठाया गया कदम?”
संतुलन की मांग
समाजवादी पार्टी प्रमुख ने यह स्पष्ट किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदमों के विरोध में नहीं हैं, लेकिन सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि शहीदों और नागरिकों की कुर्बानी को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना उचित नहीं है. उन्होंने संसद में कहा, "हम सेना के पराक्रम का सम्मान करते हैं, लेकिन सवाल उठता है कि सरकार कब और क्यों ऐसी घोषणाएं करती है?" .
सरकार को जवाबदेह बनाने की बात
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि विपक्ष का कार्य है कि वह सरकार से जवाब मांगे, खासकर तब जब आम लोगों की जान चली जाए. उन्होंने कहा कि यह जानना जरूरी है कि आखिर सुरक्षा चूक कहां हुई, और क्या इन हमलों को रोका जा सकता था? उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि वह पारदर्शिता के साथ घटना की जानकारी दे और जवाबदेही सुनिश्चित करे.


