score Card

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वर्मा पर चलेगा महाभियोग? सीजेआई संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और पीएम मोदी को भेजा पत्र

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी है. वर्मा के सरकारी आवास से नकदी बरामद हुई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति गठित की थी. 'इन-हाउस प्रक्रिया' के तहत हुई जांच में आरोप गंभीर पाए गए, लेकिन वर्मा ने पद छोड़ने से इनकार किया. अब उनके खिलाफ औपचारिक हटाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने एक गंभीर कदम उठाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी है. यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने की एक घटना के बाद बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई. यह रिपोर्ट एक तीन सदस्यीय समिति द्वारा तैयार की गई है, जो सुप्रीम कोर्ट की "इन-हाउस" प्रक्रिया के अंतर्गत गठित की गई थी.

नकदी बरामदगी और प्रारंभिक जांच

14 मार्च को वर्मा के आधिकारिक आवास पर आग लगने की घटना के बाद जब वहां तलाशी ली गई, तो बड़ी मात्रा में नकदी मिली. यह घटना उस समय की है जब न्यायमूर्ति वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में सेवारत थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक जांच समिति गठित की गई, जिसने तथ्यों की जांच की और अपनी रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश को सौंपी.

'इन-हाउस प्रक्रिया' का महत्व

भारत के न्यायिक ढांचे में 'इन-हाउस प्रक्रिया' एक विशेष आंतरिक व्यवस्था है, जिसका प्रयोग तब किया जाता है जब किसी न्यायाधीश पर गंभीर आरोप लगते हैं और न्यायिक कार्यवाही से पहले जांच की आवश्यकता होती है. यह प्रक्रिया 1995 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ‘सी. रविचंद्रन अय्यर बनाम जस्टिस ए.एम. भट्टाचार्य’ में निर्धारित की गई थी. इसके बाद 1999 में सुप्रीम कोर्ट की फुल कोर्ट बैठक में इसके स्वरूप को अंतिम रूप दिया गया.

जस्टिस वर्मा पर क्या है आरोप?

समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट में नकदी की बरामदगी और उससे संबंधित अन्य संदिग्ध परिस्थितियों की पुष्टि की गई है. रिपोर्ट के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि आरोप गंभीर हैं और न्यायाधीश वर्मा को स्वैच्छिक रूप से पद छोड़ने के लिए कहा गया होगा, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. इसी के बाद CJI ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त किया.

संभावित कदम और प्रभाव

यदि किसी न्यायाधीश पर लगे आरोप इतने गंभीर हों कि उनके हटाए जाने की सिफारिश की जाए और वह स्वेच्छा से पद छोड़ने को तैयार न हो, तो मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति को पत्र लिख सकते हैं. यह वही स्थिति है जो इस समय प्रतीत हो रही है. आगे चलकर संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को यह निर्देश दिया जा सकता है कि वे वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपें.
 

calender
12 May 2025, 06:22 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag