" कमा के खाना चाहिए ..." मुंबई में घर, BMW कार और गुजारा भत्ता की मांग पर CJI ने महिला को दिखाया आईना
सुप्रीम कोर्ट में एक वैवाहिक मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने एक महिला की मांग पर दिलचस्प टिप्पणी की. महिला ने अपने पति से मुंबई में घर, BMW कार और 12 करोड़ रुपये के गुजारा भत्ते की मांग की थी. CJI ने कहा, 'महिला पढ़ी लिखी है, उसे मेहनत करके अपनी जीविका चलानी चाहिए'

Divorce Case: भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने एक वैवाहिक विवाद मामले में महिला द्वारा भारी भरण-पोषण की मांग पर तीखी टिप्पणी की. महिला ने अदालत में मुंबई में एक घर, 12 करोड़ रुपये और एक BMW कार की मांग की थी. इस पर न्यायमूर्ति गवई ने महिला की उच्च शिक्षा और उसकी क्षमता पर सवाल उठाते हुए सुझाव दिया कि उसे अपनी आजीविका कमाने की जरूरत है. उनका मानना था कि महिला को खुद से नौकरी ढूंढनी चाहिए, क्योंकि वह एक अच्छी पढ़ी लिखी महिला है.
न्यायमूर्ति गवई का सवाल
मुख्य न्यायाधीश ने महिला से पूछा, 'आप आईटी स्पेशलिस हैं, आपने MBA किया है, और बेंगलुरु व हैदराबाद में आपकी मांग है, फिर भी आप नौकरी क्यों नहीं करतीं?' उन्होंने यह भी सवाल किया कि एक 18 महीने की शादी के लिए वह इतनी बड़ी राशि की मांग कैसे कर सकती हैं. महिला ने कहा कि उसका पति बहुत अमीर है और उसने मानसिक बीमारी का आरोप लगाकर तलाक की अर्जी दी है.
महिला की मांग पर पति का पक्ष
महिला के पति के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान ने कहा कि महिला को अपनी जीवनशैली सुधारने के लिए काम करना चाहिए और यह नहीं हो सकता कि वह हर चीज की मांग इस तरह करें. पति की ओर से यह भी कहा गया कि महिला का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है, और उसका मानसिक रोग से जुड़ा दावा कोट में प्रस्तुत किया गया.
मुख्य न्यायाधीश का आदेश
मुख्य न्यायाधीश ने महिला से यह भी कहा कि वह अपने अलग हुए पति के पिता की संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर सकतीं. महिला ने यह आरोप लगाया कि उसके पति ने उसे नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया था. चीफ जस्टिस ने महिला से कहा, 'फ्लैट ले लो और बेंगलुरु, पुणे या हैदराबाद में नौकरी ढूंढो, क्योंकि इन शहरों में आईटी पेशेवरों की बहुत डिमांड है.'
आदेश सुरक्षित रख लिया गया
मुख्य न्यायाधीश ने मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया है और मामले की अगली सुनवाई का इंतजार किया जा रहा है. उन्होंने महिला को सलाह दी कि वह अपनी शिक्षा और क्षमता का सही उपयोग करें, बजाय इसके कि वह सब कुछ मांगने की बजाय खुद को स्वतंत्र रूप से अपने पांवों पर खड़ा करें.


